संवेदना
उत्तेजना
धारणा
अभिवृत्ति
सामन्य बोध
भावना
विचार
सहानुभूति
दया
बोध
क्षमता
अनुभव
विद्वेष
आशंका
अनुभूति
एहसास
प्रेम
चेतना
वेदना
इमानदारी
इन्द्रिय बोध
Flavor
Palpate
There is no longer the sense of ourselves moving, thinking or feeling but of that moving, feeling and thinking in us.
अब हमें यह प्रतीत नहीं होती है कि हम ही गति कर रहे हैं और हम ही विचार या अनुभव कर रहे हैं, वरन् यह कि वही हमारे अन्दर गति, विचार और अनुभव कर रही है ।
It made their feeling of security
इसने उनके सुरक्षित होने के अहसास को
Pleasure is the state of feeling of being pleased.
प्रसन्नता, आनन्द या खुशी की भावना की एक स्थिति होती है ।
He ran his fingers slowly over the stones, sensing their temperature and feeling their surfaces.
लड़के ने उन पत्थरों को एक बार फिर टटोला । उनकी गरमाहट और चिकनाहट महसूस की ।
For example, in an effort to slim down either by enforced starving or by having only salad has often made us end up feeling miserable because our bowels become lazy or the weighing scale stops responding after the initial flurry of activity.
उदाहरण के लिए, पतला होने की कोशिश में हम या तो जबरन भूखे रहते हैं या फिर केवल सलाद पर निर्भर करते हैं या फिर हमारी शोचनीय अवस्था में हो जाती है क्योंकि हमारी आंत्र सुस्त हो जाती है या फिर शुरू में थोड़ी हलचल के बाद वजनमापी काम करना बंद कर देता है ।
All our consciousness is his consciousness, all our knowledge is his knowledge, all our thought is his thought, all our will is his will, all our feeling is his Ananda and form of his delight in being, all our action is his action.
हमारी समस्त चेतना उन्हींकी चेतना हो जाती है, हमारा समस्त ज्ञान उन्हींकी ज्ञान, हमारा समस्त विचार उन्हींकी विचार, हमारा समस्त संकल्प उन्हींकी संकल्प, हमारा समस्त वेदन उन्हींका आनन्द और उनके सत्तागत आनन्द का रूप तथा हमारा समस्त कर्म उन्हींकी कर्म बन जाता है ।
He wrote: As the day of my departure drew nearer, the feeling of loss became keener.
उन्होनें लिखा, जैसे जैसे मेरा जाने का दिन निकट आता गया, कुछ खो जाने की भावना तीव्र होती गई ।
V. M. Inamdar, a noted novelist and critic and a contributor to Sandhyaragaprashasii wrote: ' When I finished reading Sandhyaraga for the first time, one thing impressed me above everything else and that was the almost incredible length of time through which the story moves, without ever the reader feeling it.
प्रख्यात उपन्यासकार और समीक्षक वी. एम. इनामदार, ने जिनका लेख सन्ध्याराग प्रशस्ति में संगृहीत था, लिखाः पहली बार जब मैंने सन्ध्याराग का अध्ययन पूरा किया तो एक बात ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया और वह थी काल - प्रवाह की अविश्वसनीय लम्बाई, जिसके बीच से होकर यह कहाकनी गुजरती है किन्तु पाठक को कभी उसका भान नहीं होता ।
At the same time, I do feel that de - requisitioning of the houses of Hindus in East Bengal will be a great help in creating a feeling of confidence among the refugees.
साथ ही मैं ऐसा नहीं मानता कि पूर्व बंगाल में हिन्दुओं के घरों को सरकार के कब्जे से मुक्त कर देने से निराश्रितों में विश्वास की भावना पैदा करने में कोई बडी मदद होंगी ।
This kindled in my heart a feeling of His everlasting kindness and love.
इस दृश्य ने मेरे हृदय मे उसकी शाश्वत कृपा और स्नेह की भावना जगा दी ।