दुष्टता
जुगुप्सा
अनैतिकता
बुराई
पाप
द्वेषपूर्णता
दुराचरण
असाधुता
असाधपन
Nefariousness
Vileness
Sinfulness
Loathsomeness
Repulsiveness
Sliminess
Lousiness
The wickedness of all this is hateful with your Lord.
इनमें से प्रत्येक की बुराई तुम्हारे रब की स्पष्ट में अप्रिय ही है
O you who believe! When you contract a debt for a fixed period, write it down. Let a scribe write it down in justice between you. Let not the scribe refuse to write as Allah has taught him, so let him write. Let him who incurs the liability dictate, and he must fear Allah, his Lord, and diminish not anything of what he owes. But if the debtor is of poor understanding, or weak, or is unable himself to dictate, then let his guardian dictate in justice. And get two witnesses out of your own men. And if there are not two men, then a man and two women, such as you agree for witnesses, so that if one of them errs, the other can remind her. And the witnesses should not refuse when they are called on. You should not become weary to write it, whether it be small or big, for its fixed term, that is more just with Allah ; more solid as evidence, and more convenient to prevent doubts among yourselves, save when it is a present trade which you carry out on the spot among yourselves, then there is no sin on you if you do not write it down. But take witnesses whenever you make a commercial contract. Let neither scribe nor witness suffer any harm, but if you do, it would be wickedness in you. So be afraid of Allah ; and Allah teaches you. And Allah is the All - Knower of each and everything.
ऐ ईमान लानेवालो! जब किसी निश्चित अवधि के लिए आपस में ऋण का लेन - देन करो तो उसे लिख लिया करो और चाहिए कि कोई लिखनेवाला तुम्हारे बीच न्यायपूर्वक लिख दे । और लिखनेवाला लिखने से इनकार न करे ; जिस प्रकार अल्लाह ने उसे सिखाया है, उसी प्रकार वह दूसरों के लिए लिखने के काम आए और बोलकर वह लिखाए जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो । और उसे अल्लाह का, जो उसका रब है, डर रखना चाहिए और उसमें कोई कमी न करनी चाहिए । फिर यदि वह व्यक्ति जिसके ज़िम्मे हक़ की अदायगी हो, कम समझ या कमज़ोर हो या वह बोलकर न लिखा सकता हो तो उसके संरक्षक को चाहिए कि न्यायपूर्वक बोलकर लिखा दे । और अपने पुरुषों में से दो गवाहो को गवाह बना लो और यदि दो पुरुष न हों तो एक पुरुष और दो स्त्रियाँ, जिन्हें तुम गवाह के लिए पसन्द करो, गवाह हो जाएँ ताकि यदि एक भूल जाए तो दूसरी उसे याद दिला दे । और गवाहों को जब बुलाया जाए तो आने से इनकार न करें । मामला चाहे छोटा हो या बड़ा एक निर्धारित अवधि तक के लिए है, तो उसे लिखने में सुस्ती से काम न लो । यह अल्लाह की स्पष्ट से अधिक न्यायसंगत बात है और इससे गवाही भी अधिक ठीक रहती है । और इससे अधिक संभावना है कि तुम किसी संदेह में नहीं पड़ोगे । हाँ, यदि कोई सौदा नक़द हो, जिसका लेन - देन तुम आपस में कर रहे हो, तो तुम्हारे उसके न लिखने में तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं । और जब आपम में क्रय - विक्रय का मामला करो तो उस समय भी गवाह कर लिया करो, और न किसी लिखनेवाले को हानि पहुँचाए जाए और न किसी गवाह को । और यदि ऐसा करोगे तो यह तुम्हारे लिए अवज्ञा की बात होगी । और अल्लाह का डर रखो । अल्लाह तुम्हें शिक्षा दे रहा है । और अल्लाह हर चीज़ को जानता है
For Hajj are the months well known. If any one undertakes that duty therein, Let there be no obscenity, nor wickedness, nor wrangling in the Hajj. And whatever good ye do, Allah knoweth it. And take a provision for the journey, but the best of provisions is right conduct. So fear Me, o ye that are wise.
हज के महीने तो मालूम हैं पस जो शख्स उन महीनों में अपने ऊपर हज लाज़िम करे तो न औरत के पास जाए न कोई और गुनाह करे और न झगडे और नेकी का कोई सा काम भी करों तो ख़ुदा उस को खूब जानता है और ज़ाद राह मुहिय्या करो और सब मे बेहतर ज़ाद राह परहेज़गारी है और ऐ अक्लमन्दों मुझ से डरते रहो
O ye who believe! when ye deal, one with anot her, in lending for a term named, write it down, and let a scribe write it down justly between you, and let not the scribe refuse to write according as Allah hath taught him. Let him write them, and let him who oweth dictate, and let him fear Allah, his Lord, and diminish not aught thereof. But if he who oweth be witless or infirm or unable himself to dictate, then let his guardian dictate justly. And call to witness two witnesses of your men, but if both be not men, then a man and two women of those ye agree upon as witnesses, so that if one of the twain err, the one thereof shall remind the other: and let not the witnesses refuse When they are called on And be not Weary of writing it down, be it small or big, with the term thereof. This is the most equitable in the sight of Allah and the most confirmatory of testimony and nearest that ye may not doubt, except when it be a ready merchandise that ye circulate between you, for then there Shall be no blame on you if ye write it not down. And call witnesses when ye bargain With one anot her ; and let not the scribe eome to harm nor the witness ; and if ye do, verily it will be wickedness in you. Fear Allah ; and Allah teacheth you Knower ; and Allah is of everything Knower.
ऐ ईमानदारों जब एक मियादे मुक़र्ररा तक के लिए आपस में क़र्ज क़ा लेन देन करो तो उसे लिखा पढ़ी कर लिया करो और लिखने वाले को चाहिये कि तुम्हारे दरमियान तुम्हारे क़ौल व क़रार को, इन्साफ़ से ठीक ठीक लिखे और लिखने वाले को लिखने से इन्कार न करना चाहिये जिस तरह ख़ुदा ने उसे सिखाया है उसी तरह उसको भी वे उज़्र लिख देना चाहिये और जिसके ज़िम्मे क़र्ज़ आयद होता है उसी को चाहिए कि की इबारत बताता जाये और ख़ुदा से डरे जो उसका सच्चा पालने वाला है डरता रहे और और क़र्ज़ देने वाले के हुक़ूक़ में कुछ कमी न करे अगर क़र्ज़ लेने वाला कम अक्ल या माज़ूर या ख़ुद का मतलब लिखवा न सकता हो तो उसका सरपरस्त ठीक ठीक इन्साफ़ से लिखवा दे और अपने लोगों में से जिन लोगों को तुम गवाही लेने के लिये पसन्द करो दो मर्दों की गवाही कर लिया करो फिर अगर दो मर्द न हो तो एक मर्द और दो औरतें उन दोनों में से अगर एक भूल जाएगी तो एक दूसरी को याद दिला देगी, और जब गवाह हुक्काम के सामने बुलाया जाएं तो हाज़िर होने से इन्कार न करे और क़र्ज़ का मामला ख्वाह छोटा हो या उसकी मियाद मुअय्युन तक की लिखवाने में काहिली न करो, ख़ुदा के नज़दीक ये लिखा पढ़ी बहुत ही मुन्सिफ़ाना कारवाई है और गवाही के लिए भी बहुत मज़बूती है और बहुत क़रीन है कि तुम आईन्दा किसी तरह के शक व शुबहा में न पड़ो मगर जब नक़द सौदा हो जो तुम लोग आपस में उलट फेर किया करते हो तो उसकी के न लिखने में तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है और जब उसी तरह की ख़रीद हो तो गवाह कर लिया करो और क़ातिब और गवाह को ज़रर न पहुँचाया जाए और अगर तुम ऐसा कर बैठे तो ये ज़रूर तुम्हारी शरारत है और ख़ुदा से डरो ख़ुदा तुमको मामले की सफ़ाई सिखाता है और वह हर चीज़ को ख़ूब जानता है
O you who believe! No people shall ridicule other people, for they may be better than they. Nor shall any women ridicule other women, for they may be better than they. Nor shall you slander one another, nor shall you insult one another with names. Evil is the return to wickedness after having attained faith. Whoever does not repent—these are the wrongdoers.
ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! न पुरुषों का कोई गिरोह दूसरे पुरुषों की हँसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छे हों और न स्त्रियाँ स्त्रियों की हँसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छी हों, और न अपनों पर ताने कसो और न आपस में एक - दूसरे को बुरी उपाधियों से पुकारो । ईमान के पश्चात अवज्ञाकारी का नाम जुडना बहुत ही बुरा है । और जो व्यक्ति बाज़ न आए, तो ऐसे ही व्यक्ति ज़ालिम है
The Pandavas are triumphant and his companions in wickedness are dead.
पांडव विजयी हुए हैं, उसके अपने दुष्ट साथी मर चुके हैं ।
Those men were notorious in Navadvipa for their wickedness and callousness to others.
ये दोनों नवद्वीप में अपनी दुष्टता और अन्य के प्रति क्रूरता के लिए प्रसिद्ध थे ।
The months for Hajj are well known to all ; whoever makes up his mind to perform Hajj during these fixed months, let him totally abstain from all sorts of sexual indulgence, wickedness and wrangling during the Hajj and remember that Allah knows whatever good you do. Take necessary provisions for Hajj, and piety is the best of all provisions: so refrain from disobeying Me, O men of understanding!
हज के महीने तो मालूम हैं पस जो शख्स उन महीनों में अपने ऊपर हज लाज़िम करे तो न औरत के पास जाए न कोई और गुनाह करे और न झगडे और नेकी का कोई सा काम भी करों तो ख़ुदा उस को खूब जानता है और ज़ाद राह मुहिय्या करो और सब मे बेहतर ज़ाद राह परहेज़गारी है और ऐ अक्लमन्दों मुझ से डरते रहो
And persisted obstinately in wickedness supreme!
और बड़े गुनाह पर अड़े रहते थे
O ye who believe! Let not some men among you laugh at others: It may be that the are better than the: Nor let some women laugh at others: It may be that the: Nor defame nor be sarcastic to each other, nor call each other by nicknames: Ill - seeming is a name connoting wickedness, after he has believed: And those who do not desist are doing wrong.
ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! न पुरुषों का कोई गिरोह दूसरे पुरुषों की हँसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छे हों और न स्त्रियाँ स्त्रियों की हँसी उड़ाए, सम्भव है वे उनसे अच्छी हों, और न अपनों पर ताने कसो और न आपस में एक - दूसरे को बुरी उपाधियों से पुकारो । ईमान के पश्चात अवज्ञाकारी का नाम जुडना बहुत ही बुरा है । और जो व्यक्ति बाज़ न आए, तो ऐसे ही व्यक्ति ज़ालिम है