Meaning of Neglect in Hindi - हिंदी में मतलब

profile
Ayush Rastogi
Mar 08, 2020   •  0 views
  • उपेक्षा करना

  • लापरवाही

  • उपेक्षा

Synonyms of "Neglect"

Antonyms of "Neglect"

  • Attend_to

"Neglect" शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • Or the landlord may fail to do certain things supposed to be done under the tenancy agreement, either wilfully, because he or she wants the tenant to leave, or from simple neglect ; this neglect might also prevent the tenant from enjoying his or her home.
    किरायेदार कुछ चीजें बडी व्यापक रुप से कुछ परिस्थितियों में कर सकता है, जिसमें से कुछ निम्नलिखित है ।

  • But there were delays and for five years Morse led a life of poverty and neglect.
    पॉँच साल तक मोर्स ने गरीबी और बंगी की जिंदगी बितायी ।

  • But, life is such that no matter how much our internal difficulties, we cannot afford to neglect the external dangers.
    लेकिन जिस संसार में हम रहते हैं उसमें हमारी आंतरिक कठिनाइयां जो भी हों, हम बाहरी खतरों की ओर से आंखे नहीं मूंद सकते ।

  • Much of the neglect of the Chhokar family in the lead up to and during the first trial might have been averted if there had been systematic communication between the police and the Procurator Fiscal.
    यदि पुलिस और प्रोक्यूरेटर फिस्कल के बीच व्यवस्थित संवाद रहा होता तो पहला मुक़दमा शुरु होने तक और मुक़दमे के दौरान छोकर परिवार की ज्यादातर उपेक्षा को रोका जा सकता था ।

  • The position was in sharp contrast to the status of students in India where they were suspects, objects of compassion and neglect or hunted by the police as potential revolutionaries.
    भारत में विद्यार्थियों की स्थिति इससे एकदम उलट थी, जहां वे संदिग़्ध, दयनीय और उपेक्षित थे, या फिर क्रातिकारी समझकर पुलिस उनकी घात में रहती थी.

  • There was then no department of Archaeology to look after the preservation of monuments which were in neglect and subject to repeated acts of vadalism.
    उस समय तक पुरातत्व - विभाग की स्थापना नहीं हुई थी, जो ऐतिहासिक मूल्य के स्मारकों की, जो उपेक्षित पड़े थे और बार - बार लुटेरो की तबाहकारियों के शिकार हो रहे थे, सुरक्षा का प्रबंध कर सके ।

  • And keep yourself patient with those who call upon their Lord in the morning and the evening, seeking His countenance. And let not your eyes pass beyond them, desiring adornments of the worldly life, and do not obey one whose heart We have made heedless of Our remembrance and who follows his desire and whose affair is ever neglect.
    और जो लोग अपने परवरदिगार को सुबह सवेरे और झटपट वक्त शाम को याद करते हैं और उसकी खुशनूदी के ख्वाहाँ हैं उनके उनके साथ तुम खुद अपने नफस पर जब्र करो और उनकी तरफ से अपनी नज़र न फेरो कि तुम दुनिया में ज़िन्दगी की आराइश चाहने लगो और जिसके दिल को हमने अपने ज़िक्र से ग़ाफिल कर दिया है और वह अपनी ख्वाहिशे नफसानी के पीछे पड़ा है और उसका काम सरासर ज्यादती है उसका कहना हरगिज़ न मानना

  • A little neglect may cause loss of a valuable animal.
    थोड़ी सी उपेक्षा से भी बहुमूल्य जानवर खो दिये जाने की आशंका रहती है ।

  • Be patient with those who worship their Lord in the mornings and evenings to seek His pleasure. Do not overlook them to seek the worldly pleasures. Do not obey those whom We have caused to neglect Us and instead follow their own desires beyond all limits.
    अपने आपको उन लोगों के साथ थाम रखो, जो प्रातःकाल और सायंकाल अपने रब को उसकी प्रसन्नता चाहते हुए पुकारते है और सांसारिक जीवन की शोभा की चाह में तुम्हारी आँखें उनसे न फिरें । और ऐसे व्यक्ति की बात न मानना जिसके दिल को हमने अपनी याद से ग़ाफ़िल पाया है और वह अपनी इच्छा और वासना के पीछे लगा हुआ है और उसका मामला हद से आगे बढ़ गया है

  • It is true that the consciousness of the Absolute is the highest reach of the Yoga of knowledge and that the possession of the Divine is its first, greatest and most ardent object and that to neglect it for an inferior knowledge is to afflict our Yoga with inferiority or even frivolity and to miss or fall away from its characteristic object ; but, the Divine in itself being known, the Yoga of knowledge may well embrace also the knowledge of the Divine in its relations with ourselves and the world on the different planes of our existence.
    यह सच है कि निरपेक्ष ब्रह्म की चेतना प्राप्त करना ज्ञानयोग की पराकाष्ठा है और भगवान् की प्राप्ति उसका पहला, सबसे महान् तथा उत्कट ध्येय है और किसी निम्न ज्ञान के लिये इस लक्ष्य की उपेक्षा करने का अर्थ है हमारे पूर्ण ४६८ योग - समन्वय योग को हीनता या यहांतक कि क्षुद्रता से ग्रस्त करना और उसके विशिष्ट लक्ष्य से भ्रष्ट होना या दूर रहना, परन्तु भगवान् का निज स्वरूप ज्ञात हो जाने पर ज्ञानयोग हमारी सत्ता के विभिन्न स्तरों पर हमारे साथ तथा जगत् के साथ नानाविध सम्बन्ध रखनेवाले भगवान् का ज्ञान भी भली - भांति प्राप्त कर सकता है ।

0



  0