जूठन
Jayadeva began to eat from his wife ' s plate, as the food there was in part the leavings of Krishna himself, and so it had become consecrated food partaken of by God.
जयदेव अपनी पत्नी की थाली से भोजन करने लगे क्योंकि वह भोजन कृष्ण द्वारा छोड़ा हुआ था और इस प्रकार ईश्वर द्वारा ग्रहण किए गए पवित्र भोजन का अंश था ।
Writing about those days of slavish imitation, Sri Aurobindo burst out:. economically we attained great success in destroying our industries and enslaving ourselves to the British trader ; morally, we successfully compassed the disintegration of the old moral ideas and habits and substituted for them a superficial respectability ; intellectually, we prided ourselves on the tricking out of our minds in a few leavings, scraps and strays of European thought at the sacrifice of an immense and eternal heritage.
उन दिनों के दासवत् अन्धानुकरण के विषय में लिखते हुए श्री अरविन्द कहते हैं: आर्थिक दृष्टि से हमने महान् सफलता प्राप्त की हैअपने उद्योगों को नष्ट करने और अपने आप को ब्रिटिश व्यापारियों का दास बनाने में, नैतिक दृष्टि से हमने प्राचीन नैतिक विचारों और आदतों का विघटन कर दिया है और उनके स्थान पर एक सतही प्रतिष्ठा अर्जित कर ली है, अपने असीम, विशाल और शाश्वत दाय विरासत को त्यागकर यूरोपीय विचार के कुछ अवशेषों, कतरनों और कूड़ा - करकट से अपने मस्तिष्क को सँवारने में हम बौद्धिक रुप से गर्व महसूस करते हैं ।
He is aware of the inestimable value of this boon, this tempo - rary reprieve, and prays - Grant me, mother earth, that my life ' s mirage born of burning thirst may recede in the farthest horizon and my unclean beggar ' s bowl empty into the dust its accumulated defilements ; and as I start my crossing to the unrevealed shore let me never look back with longing on the last leavings of the feast of life.
क्षमा करो, मेरा जीवन जन्मा है मृगतृष्णा से, जलती पिपासा से जो सुदूर क्षितिज तक वापस जा सकता है और मेरा गंदा भिक्षापात्र धूल में लोट रहा है अब तक जमा कचरे के साथ जैसे ही मैं अनदिखे तटों की तरफ बढ़ता हूं लेकिन मुझे पीछे मुड़कर देखने न दो लोलुप दृष्टि से जीवन के भोज के बचे - खुचे अंश पर ।
She was using the plates with the leavings from her husband ' s lunch, and when she was eating, it seemed that Jayadeva was again coming back from his bath.
वह अपने पति की झूठी थाली का ही प्रयोग कर रही थी और इसी समय उसे प्रतीत हुआ कि जयदेव पुनः स्नान के बाद लौटे हैं ।