दिवित
अनश्वर
अमर व्यक्ति
अमर
अविध्वंसी
मृत्युंजय/मृत्युञ्जय
अविनश्वर
The only purpose of the mortal body of flesh is to serve the immortal spirit during its brief sojourn in the material world.
हाड़ - मांस के इस नश्वर शरीर का एकमात्र उद्देश्य भौतिकतावादी संसार में अपने अस्थाई बसेरे के दौरान उस अनश्वर आत्मा की सेवा करना है.
There is nothing in Mahabharata to support the idea that Aswatthama is immortal.
महाभारत से प्रतीत नहीं होता कि अश्वत्थामा अमर है ।
He thinks that his wealth will make him immortal.
समझता है कि उसके माल ने उसे अमर कर दिया
He who dwells in the intellect vijnana and within the intellect, whom the intellect does not know, whose body the intellect is, and who rules the intellect within, he is your Self, the Ruler within, the immortal.
वह जो बुद्धि में निवास करता है, विज्ञान तथा बुद्धि के भीतर है, जिसे बुद्धि नहीं जानती, जिसका शरीर ही बुद्धि है, तथा जो भीतर रह कर बुद्धि पर शासन करता है, वही तुम्हारी आत्मा है, और भीतर का शासक अनश्वर है ।
I have seen the beauty of immortal eyes, And heard the passion of the Lover ' s flute.
देखा है मैंने शाश्वत आँखों का सौन्दर्य और सुना है, प्रेम की बाँसुरी का आवेश ।
thinking his riches have made him immortal!
समझता है कि उसके माल ने उसे अमर कर दिया
the one group of criticism is like. who think that the songs of mahadevi immortal
आलोचकों का एक वर्ग वह है जो यह मानकर चलते हैं कि महादेवी का काव्य नितान्त वैयक्तिक है ।
But Satan suggested to them, in order to reveal their hidden parts of which they were not aware, and said:" Your Lord has forbidden you this tree that you may not become angels or immortal."
फिर शैतान ने उन दोनों को वसवसा दिलाया ताकि उनके अस्तर की चीज़े जो उनकी नज़र से बेहश्ती लिबास की वजह से पोशीदा थी खोल डाले कहने लगा कि तुम्हारे परवरदिगार ने दोनों को दरख्त से सिर्फ इसलिए मना किया है तुम दोनों फरिश्ते बन जाओ या हमेशा रह जाओ
The Mother ' s power and not any human endeavour and tapasya can alone rend the lid and tear the covering and shape the vessel and bring down into this world of obscurity and falsehood and death and suffering Truth and Light and Life divine and the immortal ' s Ananda.
केवल माता की ही शक्ति, कोई मानवी प्रयास और तपस्या नहीं, आच्छादन को छिन्न और आवरण को विदीर्ण कर पात्र को स्वरूप में गढ़ सकती हैं और इस अंधकार और असत्य और मृत्यु और क्लेश के जगत् में ला सकती हैं सत्य और प्रकाश और दिव्य जीवन और अमृतत्व का आनंद ।
immortal youths going round about them
उनके पास किशोर होंगे जो सदैव किशोरावस्था ही में रहेंगे,