'राम' का नाम, धर्म से 'इंतकाम'!

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Nishant Jaiswal
Jul 12, 2019   •  7 views

त्रेता युग से कलयुग तक, रामदरबार से 'देश की पंचायत' तक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का नाम जैसे सरेआम नीलाम हो रहा है। देश की संसद से 'जय श्री राम' का नारा जब सड़क पर उतरा तो, चारों ओर खून खून हो गया। देश अभी तबरेज अंसारी की हत्या के दुःखों से ऊपर उठ ही रहा था कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक बार फिर धार्मिक हिंसा ने अपना वर्चस्व विकराल कर लिया है। उन्नाव में एक मदरसे के तीन छात्रों को जय श्री राम का नारा न लगाने के बेहद संगीन जुर्म में देश के चन्द स्वकथित न्यायधीशों ने बेरहमी से पीटा, खूब पिटा, क्या गजब पीटा।

उन्नाव में मदरसे से लौट रहे कुछ मुस्लिम युवक , वहा के क्षेत्रीय जी आई सी ग्राउंड में क्रिकेट खेलने जा रहे थे। तभी वहां मैदान में हिन्दू संगठनों के कुछ युवक पहुँच गए,और मुस्लिम युवकों को जय श्री राम का नारा लगाने को मजबूर कर दिया, मुस्लिम युवकों के मना करने के बाद तथाकथित रामभक्तों ने मुस्लिम युवकों को जमकर पीटा, और इस तरह से रामभक्तों ने श्री राम के सनातन धर्म का परिचय दिया।

प्रशासन ने नगर के भारतीय जनता युवा मोर्चा व बजरंग दल के दो कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेते हुए मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।

उधर हिन्दू संगठनों का दावा है कि शहर में ऐसी किसी प्रकार की घटना नही हुई है, कुछ लोग जिले में साम्प्रदायिक तनाव का माहौल बनाने की साजिश में है।

तो सवाल ये है कि-

"जो राम देश की एकता औऱ अखंडता के लिए याद किये जाते थे, अब सांप्रदायिक हिंसा का मूल कारण बन गए हैं?"

सवाल ये भी है कि -

"आखिर कब तक सत्ता के गलियारों से राम का नाम बदनाम किया जाएगा ? "

निश्चित तौर पर ये सवाल आत्मघाती है और इनके जवाब तो और भी...।

देश की मौजूदा सरकार का मूल मंत्र है-

"सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास"

उन्नाव में हो रही ऐसी साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं, मोदी सरकार के इस मूल मंत्र पर तमाचा मार मार कर पूछ रही हैं-

"मोदी जी, ऐसे जीतेंगे सबका विश्वास!"

यह देश मुसलमानों का भी उतना है जितना कि हिंदुओं का। देश में हम सभी को एक दूसरे की आस्था और धर्म का सम्मान करना चाहिए। ऐसी घटनाये देश की एकता को कमजोर करती हैं।

लेकिन, यदि देश में अफ़ज़ल गुरु, बुरहान मानी जैसे आतंकियों की बरसी मनायी जाएगी, उन्हें देशभक्त करार दिया जाएगा तो निश्चित तौर पर देश में साम्प्रदायिक हिंसा का माहौल अपना विकराल रूप लेगा ही।

निशान्त जायसवाल

विद्युत अभियान्त्रिकी प्रथम वर्ष

आई०ई०टी० लखनऊ

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