परमाणु विस्फोट से भयानक होगा जनसंख्या विस्फोट

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Ankur Rahul
Sep 12, 2019   •  15 views

भारत सहित संपूर्ण दुनिया में अनेकों समस्याएं हैं जैसे- पर्यावरण प्रदूषण, बेरोजगारी, युद्ध स्थिति, सीमा को लेकर तनाव, राजनैतिक तनाव, धार्मिक मुद्दे, व्यापार इत्यादि। इन्हीं कुछ सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है जनसंख्या वृद्धि। तय सीमा से अधिक जनसंख्या किसी भी देश के लिए परेशानी का सबब बनती है।

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परिचय व आंकड़े

सुप्रसिद्ध विचारक गार्नर के अनुसार किसी भी देश की जनसंख्या उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी उस देश के पास साधन-संपन्नता हो। अगर हम इसे दूसरी भाषा में समझें तो जनसंख्या किसी भी देश के लिए वरदान होती है परंतु जब अधिकतम रेखा को पार कर जाती है तो वहीं जनसंख्या अभिशाप बन जाती है। भारत में जनसंख्या सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। भारत की जनसंख्या दिन दोगुनी रात चौगुनी की रफ्तार से बढ़ रही है। बढ़ती हुई जनसंख्या का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत की जनसंख्या मात्र 36 करोड़ थी। सन 1991 में यह 86 करोड़ थी। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या लगभग 102 करोड़ थी जो वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बढ़कर 121करोड़ से भी अधिक हो गई। वर्तमान में भारत की जनसंख्या 136 करोड़ से ऊपर पहुंच गई है जो कि बहुत खतरनाक है। अगर संपूर्ण विश्व की जनसंख्या की बात करें तो पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग 8 अरब है। भारत की जनसंख्या संपूर्ण विश्व की जनसंख्या का 17.1% या लगभग 18% है। अगर अनुमान लगाएं तो हम पाएंगे कि भारत की जनसंख्या वृद्धि एक दशक में 25% से भी अधिक है। अगर यह इसी दर से बढ़ती रही तो निश्चित ही भारत में त्राहिमाम मच जाएगा।

जनसंख्या वृद्धि के कारण

हर समस्या के पीछे कुछ न कुछ कारण भी अवश्य होता है। वैसे ही जनसंख्या वृद्धि के पीछे भी कई छोटे-बड़े कारण हैं। भारत में जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न महत्वपूर्ण कारणों में जन्म मृत्यु दर में असंतुलन, लोगों द्वारा जनगणना में गलत जानकारी देना, जागरूकता की कमी, संसाधनों का लगभग नगण्य प्रयोग इत्यादि है।

भारत में जन्म और मृत्यु दर में बहुत असमानताएं हैं। यहां हर मिनट जितने लोगों की मृत्यु होती है, उससे कहीं अधिक नवजात शिशु जन्म लेते हैं। इसी कारणवश जनसंख्या वृद्धि बहुत भयावह रूप से बढ़ रही है। भारत में बहुत भारी मात्रा में निरक्षरता है। ऐसे लोग जनसंख्या वृद्धि के नुकसान को समझ पाने में सक्षम नहीं होते हैं फलस्वरुप दो से अधिक बच्चे पैदा हो जाते हैं। भारत में जागरूकता की भी भारी कमी है। यहां बहुत से लोग हैं जो पढ़े-लिखे हैं परंतु जागरूक नहीं हैं। जागरूकता के अभाव में वह स्थिति को समझ नहीं पाते। भारत में निर्धनता या गरीबी जनसंख्या वृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। ऐसे लोगों के पास मनोरंजन के साधन नहीं है, तो सेक्स ही उनका एकमात्र मनोरंजन का साधन बचता है। ऐसे में विपरीत परिणाम आना तो लाजमी है। हालांकि हर ग्राम में व शहरों में भी मनोरंजन के लिए पर्याप्त मद ग्राम प्रधान व अन्य लोगों को दिया जाता है परंतु वह मद कभी जमीनी रूप धारण ही नहीं कर पाता है। गरीब लोगों में एक अवधारणा यह भी पाई जाती है कि वह अधिक से अधिक बच्चे पैदा करना चाहते हैं जिससे बच्चे बड़े होकर काम करके पैसा कमाएं और आर्थिक स्थिति संभाल लें या तो घरेलू तथा किसानी कार्यों में हाथ बटाएं। ऐसे में जनसंख्या वृद्धि बढ़ती ही जाती है। गरीबी निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का एक बहुत बड़ा कारण है। अधिक बच्चे पैदा करके अपने परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं से जूझते मां-बाप को बाध्य होकर उन्हें स्कूल जाने से रोकना पड़ता है ताकि वह घर के खर्च में मदद कर सकें और फिर शिक्षित एवं ज्ञानी बच्चे अपने पिता के जैसे भाग्य के उत्तराधिकारी होंगे और फिर उसी चक्र का दोहराव होगा।

एक सर्वे के अनुसार भारत में गरीब, अमीर से अधिक बच्चे पैदा करते हैं। गरीबों द्वारा अधिक बच्चे पैदा करना दर्शाता है कि गरीबी एवं जनसंख्या के बीच परस्पर बहुत घना संबंध है। पुत्र मोह भी जनसंख्या वृद्धि के मूल कारणों में से एक माना जाता है। पुत्र मोह से ग्रसित व्यक्ति तब तक बच्चे पैदा करता है जब तक कि पुत्र जन्म ना ले ले। भारत एक गर्म देश है जहां लड़कियां कम उम्र में ही परिपक्वता को प्राप्त कर लेती हैं और उनकी शादी हो जाती है। जनसंख्या वृद्धि में बाल विवाह की प्रथा ने भी काफी सहयोग दिया है। भारत की जनता बड़े परिवारों को जिम्मेदारी कम और बल का साधन अधिक समझती है। बड़े पैमाने पर विदेशों से लोग आकर भारत में बस जा रहे हैं, यह भी बढ़ती जनसंख्या का एक कारण रहा है।

धार्मिक दृष्टि से कट्टर एवं रूढ़ीवादी लोग परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के विरुद्ध होते हैं। कई परिवार यह तर्क देते हैं कि भगवान की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकते। भारतीय मुसलमानों में जन्म दर एवं उत्पादकता हिंदुओं की अपेक्षा अधिक है। मुसलमानों के अनुसार उनके धर्म में इस्लाम का प्रचार, अपने धर्म व जाति का विस्तार को महत्व दिया गया है। अतः मुसलमान इस प्रक्रिया का पूरे लग्न से अनुसरण करते हैं। प्रायः यह देखा जाता है कि मुस्लिम और अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग परिवार नियोजन को नहीं अपनाते क्योंकि वह समग्र जनसंख्या में अपने समुदाय की संख्या क्या प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं। देश में अधिकतर लोग परिवार नियोजन को अधिक महत्व नहीं देते जिससे जनसंख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है।

जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएं

भारत में हो रही जनसंख्या वृद्धि खतरनाक रूप धारण कर चुकी है। भारत के सामने ऐसी बहुत सी जटिल समस्याएं आ गई हैं जिससे निपटना किसी चुनौती से कम नहीं है। यह अब एक विकराल रूप धारण कर चुकी है। सड़कों पर अधिक भीड़ होती है, जो अपने अपने वाहन लिए हुए होती है। अत्यधिक लोग और अत्यधिक वाहन और उतना ही अधिक प्रदूषण। बात केवल वायु प्रदूषण की ही नहीं है। हर प्रकार के प्रदूषण जैसे जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ई-गार्बेज इत्यादि। इन सब के पीछे बढ़ती जनसंख्या का ही हाथ है। जितने लोग होंगे उतनी ही जरूरतें होंगी और उतने ही कारखाने इत्यादि होंगे और उतना ही अधिक प्रदूषण होगा। भारत की जनसंख्या, उपलब्ध संसाधनों से अधिक होती जा रही है। बढ़ती हुई जनसंख्या ने स्थान की समस्या उत्पन्न कर दी है। लोगों के लिए आवास की भीषण समस्या उत्पन्न हो गई है जिसके परिणाम स्वरुप ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों के जंगल बनते जा रहे हैं। लोग आवास के लिए जंगलों का सफाया कर रहे हैं जिससे वातावरण पूरी तरह से परिवर्तित हो रहा है जो प्राकृतिक आपदा का कारण बनता है। पृथ्वी पर रहने लायक वातावरण जंगलों के ही कारण है लेकिन वह भी धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं। देश में भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है, अकाल पड़ रहा है, महामारी फैलने की स्थिति बन रही है, कुपोषण की समस्या ने जड़ पकड़ ली है। आजकल बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन इत्यादि जगहों पर अत्यधिक भीड़ हो रही है। जबकि इन जगहों को यात्रा के लिए सर्व सुलभ माना जाता है। अब यात्रा करना बहुत कठिन होता जा रहा है। सारे संसाधन खत्म होते जा रहे हैं जो देश में निर्धनता लाएगी। पीने लायक पानी बहुत तेजी से खत्म होता जा रहा है और इसका एक मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या ही है। इंसान जंगल काट रहा है जिससे वर्षा कम हो रही है और पीने लायक पानी के भंडार में तेजी से कमी आ रही है। इंसान, जंगल और पानी तीनों में परस्पर संबंध है। साथ ही ऑक्सीजन और पर्यावरण का भी जनसंख्या के साथ सीधा संबंध है। ऑक्सीजन की कमी दुनिया को सामूहिक मृत्यु की ओर ले जा रहा है। जितने लोग होंगे उतना ही संघर्ष बढ़ेगा और उतनी ही बुराइयां उत्पन्न होंगी। इससे समाज को बहुत अधिक भुगतना पड़ रहा है।

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देश की बढ़ती आबादी, बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है। जनसंख्या इतनी अधिक हो गई है कि उतनी अधिक नौकरियां बन ही नहीं पा रही हैं और इतने अधिक कर्मचारियों को देने के लिए पर्याप्त धन नहीं हो पा रहा है। आलम यह है कि कम संख्या में मौजूद नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ गई है जिससे अधिक से अधिक बेरोजगारी बढ़ रही है। आप कल्पना कर सकते हैं कि जिस देश में इतनी अधिक बेरोजगारी है भविष्य में उस देश की स्थिति क्या होगी? जब जनसंख्या की सहारा लेकर निर्धनता अपना पैर पसारेगी तो स्थिति बहुत दयनीय होगी।

भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 2 करोड़ की दर से जनसंख्या वृद्धि हो रही है और स्थिति यह है कि भारत में अब जनसंख्या विस्फोट होने वाला है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की आबादी 2050 तक चीन से भी अधिक हो जाएगी।

जनसंख्या विस्फोट से होने वाली बर्बादी परमाणु विस्फोट से होने वाली बर्बादी से कहीं अधिक होगी।

निवारण

जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अब हर भारतीय का कर्तव्य बनता है कि वह इस विस्फोटक वृद्धि के प्रति सजग हो जाए और उसी अनुरूप कार्य करें। शिक्षा को बढ़ावा देना होगा। हमें, आपको और सरकार को मिलकर समाज में जागरूकता फैलानी होगी। सरकार को ऐसी नीतियों का सृजन एवं क्रियान्वयन करना होगा जिनका उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण करना और भौतिक एवं मानव संसाधनों को लाभप्रद कार्य में लगाना हो।

सरकार द्वारा परिवार नियोजन की नीति को सख्ती से लागू करना होगा और जनसामान्य को भी इसमें सहर्ष सहयोग देना होगा तभी जनसंख्या नियंत्रण संभव हो पाएगा। सरकार को बाध्यता लानी ही होगी, लोगों को हतोत्साहन (बाध्यता) का कड़वा घूंट पिलाना ही होगा। वैधानिक उपायों का भी सहायता सरकार ले सकती है लेकिन उत्तरदाई माता-पिता में भावना पैदा करने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि सामाजिक जागृति एवं भागीदारी अधिक से अधिक हो।

बाध्यता की अपेक्षा फासले की नीति पर जोर देना चाहिए। अर्थात एक दंपत्ति के दो बच्चों के उम्र में अधिक फासला हो साथ ही साथ लड़कियों की शादी अधिक उम्र में करना चाहिए। इससे जनसंख्या वृद्धि पर बहुत प्रभावशाली प्रभाव तो नहीं पड़ेगा परंतु जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार जरूर कम हो जाएगी। हमारे देश में 5 में से 3(57%) विवाहित स्त्रियां 30 वर्ष की आयु से कम है और दो बच्चों की मां भी हैं।

बच्चों के लिए स्कूल स्तर पर सेक्स एजुकेशन की अनिवार्यता कर देनी चाहिए। उनसे खुलकर इस बारे में बात करनी होगी व उन्हें जागरूक करना होगा। व्यापक स्तर पर यह प्रचार करना होगा कि छोटा परिवार ही सुखी परिवार है। लोगों को बच्चों के मामले में अपनी कट्टरपंथी व रूढ़िवादी सोच को बदलना होगा। जनसंख्या के मामले में धर्म का आड़ लेने से बचना होगा। लोगों को यह समझना ही होगा कि यदि उनका आज और भविष्य ही नहीं सुरक्षित होगा तो धर्म की भी कोई प्रासंगिकता नहीं रहेगी। लोगों के मध्य गर्भनिरोधकों एवं संसाधनों के प्रति जागरूकता फैलानी होगी। साथ ही साथ लोगों द्वारा इसके प्रयोग को बढ़ावा देना होगा। लोगों को अपने अंदर स्वनियंत्रण लाना ही होगा।

केंद्रीय एवं राज्य स्तर पर जनसंख्या परिषद स्थापित करना भी इस समस्या का उपयुक्त उपाय हो सकता है क्योंकि ऐसा करने पर न केवल विभिन्न स्तरों पर समन्वय का कार्य किया जा सकेगा बल्कि अल्पकालीन और दीर्घकालीन योजनाओं का निर्धारण भी किया जा सकेगा।

सरकार द्वारा संपूर्ण भारत में ऐसे केंद्र स्थापित करने चाहिए जहां दंपतियों को मुफ्त में गर्भनिरोधक व उससे संबंधित संसाधन मुफ्त में उपलब्ध कराया जाए। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए मीडिया द्वारा भी बढ़-चढ़कर प्रयास किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक बहुत ही प्रभावशाली माध्यम है तथा संपूर्ण भारत में फैला हुआ है। हमें, आपको और सरकार को मिलकर जनसंख्या वृद्धि को रोकना होगा अन्यथा देश में अशिक्षा, गरीबी, बीमारी, भुखमरी, आवासहीनता तथा बेरोजगारी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी। भारत जैसे प्रगतिशील देश में जनसंख्या पर नियंत्रण करना ही होगा वरना देश का विकास अवरुद्ध हो जाएगा। इसका दूरगामी परिणाम भी बहुत बुरा होगा। इसी परिपेक्ष में चाम्सकी ने कहा है-

"अगर आप बलपूर्वक अपनी जनसंख्या नियंत्रित नहीं कर सकते तो यह महामारी और भुखमरी के द्वारा यह रोक दी जाएगी"

अतः ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से पहले ही हमें कुछ करना होगा वरना जनसंख्या विस्फोट का परिणाम परमाणु विस्फोट के प्रभाव से भी अधिक होगा।

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