2019 लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अब घुटने टेकते हुए नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव में बड़ी शिकस्त के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना इस्तीफा दे दिया। राहुल ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा कांग्रेस कार्यसमिति को सौंप दिया। राहुल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में इस्तीफे की होड़ मच गयी है। कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं ने चुनाव में हार के बाद अपना पद छोड़ दिया है।
7 जुलाई को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपना पद त्याग दिया तो वहीं दूसरी ओर मुम्बई कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने अध्यक्ष पद को राम राम कह दिया। लगभग 1 महीने से कांग्रेस में उठा पठक का दौर जारी है, इस्तीफे के दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी अपना नया अध्यक्ष खोज रही है, लेकिन हैरत की बात ये है कि ये 'सर्च ऑपरेशन' थमने का नाम ही नही ले रहा है। तो अब ये मान लिया जाए कि-
"कांग्रेस वो डूबती हुई नांव हो गयी है जिस पर कोई भी सवार होने को तैयार नहीं?"सियासी संघर्ष से जूझते हुई कांग्रेस पार्टी के सामने अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि-
"कांग्रेस का नया कप्तान कौन....?"
इधर कांग्रेस पार्टी का ड्रामा थमने का नाम नही ले रहा था कि उधर कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार पर आंच आ गयी। कर्नाटक की मौजूदा कांग्रेस-जेडीएस सरकार के 14 विधायक बागी हो गए हैं। कांग्रेस व जनता दल सेक्युलर की गठबंधन सरकार अब जूझती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस कोटे के 22 मंत्रियों ने अपना अपना मन्त्रिमण्डल त्याग दिया। कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री जी. परमेश्वर ने भी अपना इस्तीफा साफ कर दिया है। इस्तीफों से लड़ती हुई कर्नाटक कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर अपने बागी विधायकों को मनाने में जी जान से जुट गयी है।
कांग्रेस के नेताओं का आरोप ये है कि भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रही है। तो वही कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कर्नाटक के इस हाल के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धरमैया जिम्मेदार है।
कर्नाटक विधानसभा का हाल देखा जाए तो 225 सीटों वाली कर्नाटक में 105 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है, ऐसा अनुमान लगया जा रहा है कि अब कर्नाटक में बीजेपी सरकार बनने के सारे समीकरण साफ हो गए हैं।
और जहां तक बात है सांसदों, विधायकों के खरीद फ़रोख़्त का 1999 में तत्कालीन 'बाजपेयी सरकार' 13 माह के भीतर इसी कांग्रेस की खरीद-फरोख़्त की वजह से संसद में मात्र एक वोट से गिर गयी थी। और आज वही कांग्रेस बीजेपी पर विधायकों का सौदा करने का आरोप लगा रही है।
देश में हो रही सियासी घटनाओं से ये साफ हो गया है कि 60 वर्षों तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी आज अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।
कर्नाटक विधानसभा में 105 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, और सरकार बनाने की सबसे प्रबल दावेदार भी।निश्चित रूप से कर्नाटक की जनता ने अपने जनादेश में कर्नाटक और जेडीएस दोनों को ही नकारते हुए भाजपा को सबसे बड़ा जनादेश दिया।
इस देश के लोकतंत्र में राजनीतिक मतभेद होते रहेंगे पर देश की जनता का सम्मान, उनके जनादेश का सम्मान, उनके विचारों का सम्मान देश के सभी राजनीतिक दलों को करना होगा।
निशान्त जायसवाल
विद्युत अभियांत्रिकी प्रथम वर्ष
आई०ई०टी० लखनऊ