'पद' की सौगंध खाई है, 'संघ' से लड़ाई है!

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Nishant Jaiswal
Jul 04, 2019   •  4 views

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, एक ऐसा भारतीय संगठन जिसने हमेशा से देश की हर लड़ाई में देश का साथ निभाया। चाहे छात्रहितों के लिए विद्यार्थी परिषद हो , हिंदुओं के संघर्ष के लिए विश्व हिन्दू परिषद हो ,या शिक्षा के हक के लिए शिक्षा भारती हो। भारत के नवनिर्माण में आरएसएस और स्वयंसेवकों का योगदान अविस्मरणीय रहा है।

बदलते भारत की बदलती राजनीति में भी संघ का योगदान आज शिखर हो गया है। भारतीय समाज में ये बात किसी से नही छिपी है कि मौजूदा बीजेपी सरकार में संघ का हस्तक्षेप बेहद बढ़ गया है। और जब संघ, सरकार बनेगा तो आलोचना तो होगी ही, आरोप होंगे, प्रत्यारोप होंगे।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लोकप्रिय नेता श्री राहुल गांधी ने 3 जुलाई 2019 को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी ली।

राहुल गांधी ने अपने इस्तीफा में संघ पर जमकर हमला बोला। राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे में लिखा कि मौजूदा सरकार में संघ का दबदबा इतना बढ़ गया कि देश के सभी संवैधानिक और सामाजिक पदों पर संघ और संघ के लोगों का कब्जा है।

तो राहुल गांधी से सवाल ये है कि-

देश के संवैधानिक पद जनादेश से भरे जाते हैं तो इस पर संघ का कब्जा कैसे ?"

राजनीति में आरोप प्रत्यारोप स्वाभाविक है परंतु राजनीतिक द्वेष में जनता के आदेश का अनादर करना देश के सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष को शोभा नहीं देता।

राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते कहा कि-

"मौजूदा सरकार में देश के लोकतंत्र की बुनियादें कमजोर हुई है।"

तो सवाल ये है कि-

"जिस पार्टी का नेतृत्व दशकों से एक परिवार तक सिमट गया, वो लोकतंत्र पर सवाल कर रहे हैं?"

निश्चित तौर पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्षों से राष्ट्रनिर्माण में समर्पित रहा है, कुछ विषयों पर इनके विचार एक थे और कुछ पर गहरे मतभेद थे।

आज आज़ादी के 71 साल बाद भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारतीय राजनीति में सक्रिय है।और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी धीरे धीरे भारतीय राजनीति में सक्रिय हो गया है।

जब सन 1947 में कांग्रेस को भंग न करते हुए उसे भारतीय राजनीति में धकेल दिया गया तो...... मेरे विचार में संघ का राजनीति में होना कोई अतिश्योक्ति नहीं है।

जब तक इस देश में लोकतंत्र जीवित रहेगा, इस देश में विचारधाराओं की लड़ाई होगी, आरोप होंगे, प्रत्यारोप होंगे, संघर्ष होगा, संघर्षवादी होंगे।

निशान्त जायसवाल

विद्युत अभियांत्रिकी प्रथम वर्ष

आई०ई०टी० लखनऊ"

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