धर्मयुद्ध: राम से साजिश, अल्लाह पर वार !

profile
Nishant Jaiswal
Jun 24, 2019   •  37 views

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के प्रतीक हैं, फिर चाहे देश का नागरिक हिन्दू हो या मुसलमान। भारत मे भगवान राम का जो महत्व हिंदुओं के लिए है, मुसलमानों के लिए भी वही है।

"फिर अचानक धर्म के नाम पर ,राम पर सियासत क्यों?"

18 जून को झारखंड के रायकरेला में तबरेज अंसारी को चोरी के शक में, खंभे से बांधकर हिन्दू युवकों के समूह ने बेरहमी से पीटा, खूब पीटा, इतना पीटा की तबरेज 22 जून को उसी रामदरबार पहुँच गया जिस राम का नाम लेने को उसे पिटाई के दौरान विवश किया गया।

नरेंद्र मोदी के सरकार 2.0 का मिशन है-

"सबका साथ ,सबका विकास, सबका विश्वास"

"तो मोदी जी, ऐसे जीतेंगे सबका विश्वास?"

तेलंगाना के बीजेपी सांसद सोयम बापू राय अपने एक वक्तव्य में मुसलमानों का गला काटने की धमकी दे रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संवित पात्रा ने सांसद जी के बातो की निंदा करते हुए देश को आश्वासन दिया कि पार्टी इस पर संज्ञान जरूर लेगी। तो संवित जी-

"क्या संज्ञान लिया पार्टी ने तथाकथित देशभक्त प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ?"

आज देश धर्म के ऐसे तिराहे पर आ कर खड़ा हो गया जहाँ से एक संकल्पित भारत की कल्पना कोरी लगती है।

धर्म और सम्प्रदाय के नाम पर हिंसा में आज पूरा देश शुमार हो गया है। पश्चिम बंगाल में जय श्री राम बोलना मतलब मौत को दावत देना । बंगाल में दीदी से सवाल ये है आखिर राम से इतनी नफरत क्यो?"

भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है, जहां सर्वधर्म समभाव की भावना पनपती है, हमारे देश मे धर्म और सम्प्रदाय लोगों की आस्था का विषय है और हम सभी को एक दूसरे की आस्था का सम्मान करना चाहिए।

देश मे साम्प्रदायिक ताकते इतनी बढ़ गयी कि देश का संसद भी इसके ग्रहण में घिर गया। भारतीय लोकतंत्र के 17वी लोकसभा के गठन के दौरान संसद में "जय श्री राम" और "अल्लाह-हु-अकबर" के नारे जोर जोर से गूंज रहे थे उसी संसद में समाजवादी पार्टी के नए नवेले सांसद शफीकुर्रहमान ने वंदे मातरम को इस्लाम विरोधी बता दिया। वाह रे, सांसद साहब इतनी इस्लाम और कुरान तो न तो डॉ कलाम को आयी और न ही बहादुर शाह जफर को।

इस देश में सत्ता के नुमाइंदे शायद यह भूल जाते हैं कि

इस देश की संसद, न किसी राम का मंदिर है और न ही किसी अल्लाह का मस्जिद। इस संसद का सिर्फ एक धर्म हिंदुस्तान और एक धर्म ग्रंथ भारतीय संविधान है।

सम्प्रदायिक ताकतों से जूझती हुई देश की जनता का सवाल केन्द्रीय नेतृत्व से ये है कि-

"मोदी जी देश की जनता ने आपको दोबारा संसद में साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए भेजा है या अलगाववाद के लिए?"

धर्म और मजहब से ऊपर उठकर इस देश का हर एक नागरिक ये आशा करता है कि

" एक बार फिर भारत गंगा-जमुनी तहजीब निभायेगा ! "

निशान्त जायसवाल

विद्युत अभियांत्रिकी प्रथम वर्ष

आई०ई०टी० लखनऊ

5



  5