जागृत
रतजगा
Sleeping
Fall_asleep
Cause_to_sleep
Here everything is shut up from the first in the violently working inconscient sleep of material force ; therefore the whole aim of any material becoming must be the waking of consciousness out of the inconscient ; the whole consummation of a material becoming must be the removal of the veil of matter and the luminous revelation of the entirely self - conscient Being to its own imprisoned soul in the becoming.
यहां प्रत्येक वस्तु आरम्भ से ही जड़ - शक्ति की प्रचण्ड रूप से कार्य करनेवाली निश्चेतन निद्रा में आच्छादित है ; अतएव, किसी भी जड़प्राकृतिक अभव्यक्ति का संपूर्ण लक्ष्य निश्चेतन में से चेतना का जागरण ही होना चाहिए ; उस अभिव्यक्ति की सम्पूर्ण चरम परिणति यह हानी चाहिये कि जड़ प्रकृति का पर्दा दूर हो जाय तथा पूर्णतः आत्म - सचेतन पुरुष अभिव्यक्ति में अपनी ही बन्दीकृत आत्मा के प्रति ज्योतिर्मय रूप में प्रकट हो उठे ।
Peoples are also waking up regarding this subject.
जनता भी इस विषय में जागृत हुई है ।
The objective world of things that is experienced in the state of waking gets sublated in the dream - state ; the dreamworld of idea - images disappears in deep sleep.
जाग्रत अवस्था में जो विषय - जगत दिखाई देता है वह स्वप्नावस्था में विलीन हो जाता है, भाव - कल्पित स्वप्न - जगत का गहरी निद्रा में लोप हो जाता है ।
It is obvious, since mind - consciousness is the sole waking state possessed by mental being, that it cannot ordinarily quite enter into another without leaving behind completely both all our waking existence and all our inward mind.
मनोमय सत्ता को जो जाग्रत् अवस्था उपलब्ध है, एकमात्र, मानसिक चेतना की अवस्था ही है; अतएव यह स्पष्ट है कि हमारी सम्पूर्ण जग्रत् सत्ता और हमारी समस्त आन्तरिक मनश्चेतनादोनों को पूरी तरह से पीछे छोड़े बिना साधारणतया किसी अन्य चेतना में पूर्ण रूप से प्रवेश नहीं कर सकती ।
To these planes of divine mentality it is possible for the developed human being to arise in the waking state ; or it is possible for him to derive from them a stream of influences and experiences which shall eventually open to them and transform into their nature his whole waking existence.
विकसित मनुष्य जाग्रत् अवस्था में भी दिव्य मन के इन स्तरोंतक ऊंचे उठ सकता है; अथवा वह इनसे ऐसे प्रभावों और अनुभवों की धारा भी प्राप्त कर सकता है जो अन्त में उसकी सम्पूर्ण जाग्रत् सत्ता को इनकी ओर खोल देंगे तथा इनकी प्रकृति के स्वरूप में रूपान्तरित कर देंगे ।
' So intense was his anguish at the moral depravity around him that he who recited the Gita every day and was never tired of propagating its doctrine of equanimity, of rising above the pair of opposites, the flux of good and evil, was unable to live up to it when he needed its support most He did his duty, indeed, every minute of his waking hours, but was he indifferent to the fruit thereof, as the Gita enjoined ?
अपने इर्द - गिर्द के इस नैतिक पतन पर उनकी पीड़ा इतनी गहरी थी कि रोज गीता का पाठ करनेवाले और उसके निःसंगमता के सिद्धांत, विरोधाभासों से और शुभ - अशुभ के आवागमन से परे उठने के सिद्धांत का प्रचार करते न थकनेवाले गांधी जी उसी समय उसको अपने जीवन में न उतार सके जब उन्हें उसके सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत थी ।
There were other women who took up different occupations like visiting each house before dawn and waking up the inmates for early meditation.
कुछ महिलाओं ने दूसरी तरह के काम संभाले, मसलन प्रभात से पहले उठकर घरों में जाकर लोगों को ध्यान करने को जगाना ।
The Hindus represent to their common people the two durations here mentioned, the day of Brahman and the night of Brahman, as his waking and sleeping ; and we do not disapprove of these terms, as they denote something which has a beginning and end.
ब्रह्मा का जागरण तथा सुप्तावस्था हिन्दू अपने जन - साधारण को ऊपर बताई गई दो कालावधियों - ब्रह्मा का दिवस और ब्रह्मा की रात्रि - को ब्रह्मा की जाग्रत तथा सुप्तावस्था के प्रतीक बताते हैं और हम इन शब्दों को अस्वीकार नहीं करते क्योंकि वे ऐसी चीज का बोध कराते हैं जिसका आदि भी है और अंत भी ।
It is obvious, since mind - consciousness is the sole waking state possessed by mental being, that it cannot ordinarily quite enter into another without leaving behind completely both all our waking existence and all our inward mind.
मनोमय सत्ता को जो जाग्रत् अवस्था उपलब्ध है, एकमात्र, मानसिक चेतना की अवस्था ही है; अतएव यह स्पष्ट है कि हमारी सम्पूर्ण जग्रत् सत्ता और हमारी समस्त आन्तरिक मनश्चेतनादोनों को पूरी तरह से पीछे छोड़े बिना साधारणतया किसी अन्य चेतना में पूर्ण रूप से प्रवेश नहीं कर सकती ।
It is the ' fourth ' not in addition to or as different from its appearances in waking, dream and sleep.
जाग्रत, स्वप्न और सूषुप्ति की अवस्थाओं में इसकी जो प्रतीति मिलती है उसके अतिरिक्त, अथवा उससे भिन्न, यह चतुर्थ अवस्था नहीं शंकर का दर्शन हैं ।