स्मरण
स्मरण शक्ति
याद
स्मृति
यादाश्त
Anamnesis
Reminiscence
Since Nammalvar spoke only after the first sixteen years of his life, if we consider this period of silence as occupied by his search for Reality, we have to infer that portions of his works were a turning back and a recollection, a fresh experience, to change Wordsworth ' s phrasing, recollected in the tranquillity of realisation2.
यदि हम यह मानकर चलें कि अपने मौन - काल में वे सत्य की खोज में लगे रहे, तो हमारा निष्कर्ष यह होगा कि उनकों कृतियों के कुछ अंश अतीत का ही पुनःस्मरण है ।
Sometimes a nation of such a kind derives its pedigree from a person who first settled in the place or distinguished himself by something or other, so that he alone continues to live in the recollection of the succeeding generations, whilst all others beside. him, are forgotten.
कभी कभी इस प्रकार की जाति का वंश एक ऐसे व्यक्ति से प्रारंभ होता है जो उस स्थान सबसे पहले आकर बसा था या जिसने किसी - न - किसी कारण से स्वयं को दूसरों से प्रतिष्टित कर लिया था और इस प्रकार परवर्ती पीढियों की स्मृति में केवल वही जीवित रह पाता है जबकि उसके अलावा अन्य सभी विस्मृति के गर्भ में चले जाते हैं.... ।
When thou seest men engaged in vain discourse about Our signs, turn away from them unless they turn to a different theme. If Satan ever makes thee forget, then after recollection, sit not thou in the company of those who do wrong.
और जब तुम उन लोगों को देखो, जो हमारी आयतों पर नुक्ताचीनी करने में लगे हुए है, तो उनसे मुँह फेर लो, ताकि वे किसी दूसरी बात में लग जाएँ । और यदि कभी शैतान तुम्हें भुलावे में डाल दे, तो याद आ जाने के बाद उन अत्याचारियों के पास न बैठो
And when thou seest those who plunge in Our revelations keep away from them until they plunge in a discourse other than that ; and if the Satan causeth thee to forget, then sit not thou, after the recollection, with the wrong - doing people.
और जब तुम उन लोगों को देखो, जो हमारी आयतों पर नुक्ताचीनी करने में लगे हुए है, तो उनसे मुँह फेर लो, ताकि वे किसी दूसरी बात में लग जाएँ । और यदि कभी शैतान तुम्हें भुलावे में डाल दे, तो याद आ जाने के बाद उन अत्याचारियों के पास न बैठो
When you see those who are engaged in blasphemy against Our signs, turn away from them until they begin to talk of other things ; and should Satan ever cause you to forget, then do not remain, after recollection, in the company of those wrong - doing people.
और जब तुम उन लोगों को देखो, जो हमारी आयतों पर नुक्ताचीनी करने में लगे हुए है, तो उनसे मुँह फेर लो, ताकि वे किसी दूसरी बात में लग जाएँ । और यदि कभी शैतान तुम्हें भुलावे में डाल दे, तो याद आ जाने के बाद उन अत्याचारियों के पास न बैठो
And when thou seest those who plunge in Our revelations keep away from them until they plunge in a discourse other than that ; and if the Satan causeth thee to forget, then sit not thou, after the recollection, with the wrong - doing people.
और ऐसे लोगों का जवाब देही कुछ परहेज़गारो पर तो है नहीं मगर याद दिलाना ताकि ये लोग भी परहेज़गार बनें
When thou seest men engaged in vain discourse about Our signs, turn away from them unless they turn to a different theme. If Satan ever makes thee forget, then after recollection, sit not thou in the company of those who do wrong.
और ऐसे लोगों का जवाब देही कुछ परहेज़गारो पर तो है नहीं मगर याद दिलाना ताकि ये लोग भी परहेज़गार बनें
When you see those who are engaged in blasphemy against Our signs, turn away from them until they begin to talk of other things ; and should Satan ever cause you to forget, then do not remain, after recollection, in the company of those wrong - doing people.
और ऐसे लोगों का जवाब देही कुछ परहेज़गारो पर तो है नहीं मगर याद दिलाना ताकि ये लोग भी परहेज़गार बनें
Subhas Chandra wrote in his autobiography: “ The earliest recollection I have of myself is that I used to feel like a thoroughly insignificant being ”.
सुभाष चन्द्र ने अपनी आत्मकथा में लिखा है: अपने बारे में मेरी प्रारंभिक स्मृति यह है कि मैं अपने - आपको नितांत तुच्छ प्राणी समझता था.
And when you see those who enter into false discourses about Our communications, withdraw from them until they enter into some other discourse, and if the Shaitan causes you to forget, then do not sit after recollection with the unjust people.
और जब तुम उन लोगों को देखो, जो हमारी आयतों पर नुक्ताचीनी करने में लगे हुए है, तो उनसे मुँह फेर लो, ताकि वे किसी दूसरी बात में लग जाएँ । और यदि कभी शैतान तुम्हें भुलावे में डाल दे, तो याद आ जाने के बाद उन अत्याचारियों के पास न बैठो