Meaning of Inattentive in Hindi - हिंदी में मतलब

profile
Ayush Rastogi
Mar 08, 2020   •  0 views
  • लापरवाह

  • असावधान

Synonyms of "Inattentive"

Antonyms of "Inattentive"

"Inattentive" शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • They know an outward part of this life, but of the Everlasting Life they are inattentive.
    ये लोग बस दुनियावी ज़िन्दगी की ज़ाहिरी हालत को जानते हैं और ये लोग आखेरत से बिल्कुल ग़ाफिल हैं

  • And say: ' Praise belongs to Allah! He will show you His signs and you will recognize them. Your Lord is not inattentive of what you do '
    और तुम कह दो कि अल्हमदोलिल्लाह वह अनक़रीब तुम्हें निशानियाँ दिखा देगा तो तुम उन्हें पहचान लोगे और जो कुछ तुम करते हो तुम्हारा परवरदिगार उससे ग़ाफिल नहीं है

  • We have seen you turning your face towards the heaven, We shall surely turn you to a direction that shall satisfy you. So turn your face towards the Sacred Mosque ; wherever you are, turn your faces to it ' Those to whom the Book was given know this to be the truth from their Lord. Allah is not inattentive of what they do.
    ऐ रसूल क़िबला बदलने के वास्ते बेशक तुम्हारा बार बार आसमान की तरफ मुँह करना हम देख रहे हैं तो हम ज़रुर तुम को ऐसे क़िबले की तरफ फेर देगें कि तुम निहाल हो जाओ अच्छा तो नमाज़ ही में तुम मस्ज़िदे मोहतरम काबे की तरफ मुँह कर लो और ऐ मुसलमानों तुम जहाँ कही भी हो उसी की तरफ़ अपना मुँह कर लिया करो और जिन लोगों को किताब तौरेत वगैरह दी गयी है वह बख़ूबी जानते हैं कि ये तबदील क़िबले बहुत बजा व दुरुस्त है और उस के परवरदिगार की तरफ़ से है और जो कुछ वह लोग करते हैं उस से ख़ुदा बेख़बर नही

  • That is because your Lord will not destroy villages unjustly, while their inhabitants were inattentive.
    बेशक ये सब के सब काफिर थे और ये उस वजह से है कि तुम्हारा परवरदिगार कभी बस्तियों को ज़ुल्म ज़बरदस्ती से वहाँ के बाशिन्दों के ग़फलत की हालत में हलाक नहीं किया करता

  • From wherever you emerge, turn your face towards the Sacred Mosque. This is surely the truth from your Lord. Allah is never inattentive of what you do.
    और जहाँ से भी तुम निकलों, ' मस्जिदे हराम ' की ओर अपना मुँह फेर लिया करो । निस्संदेह यही तुम्हारे रब की ओर से हक़ है । जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है

  • We have seen you turning your face towards the heaven, We shall surely turn you to a direction that shall satisfy you. So turn your face towards the Sacred Mosque ; wherever you are, turn your faces to it ' Those to whom the Book was given know this to be the truth from their Lord. Allah is not inattentive of what they do.
    हम आकाश में तुम्हारे मुँह की गर्दिश देख रहे है, तो हम अवश्य ही तुम्हें उसी क़िबले का अधिकारी बना देंगे जिसे तुम पसन्द करते हो । अतः मस्जिदे हराम की ओर अपना रूख़ करो । और जहाँ कहीं भी हो अपने मुँह उसी की ओर करो - निश्चय ही जिन लोगों को किताब मिली थी, वे भली - भाँति जानते है कि वही उनके रब की ओर से हक़ है, इसके बावजूद जो कुछ वे कर रहे है अल्लाह उससे बेखबर नहीं है

  • They all have their degrees according to their deeds. Your Lord is not inattentive of their actions.
    सभी के दर्जें उनके कर्मों के अनुसार है । और जो कुछ वे करते है, उससे तुम्हारा रब अनभिज्ञ नहीं है

  • Those who do not expect to meet Us, and are wellpleased with this life and are satisfied with it, and those who are inattentive to Our signs,
    रहे वे लोग जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखते और सांसारिक जीवन ही पर निहाल हो गए है और उसी पर संतुष्ट हो बैठे, और जो हमारी निशानियों की ओर से असावधान है ;

  • Say: ' People of the Book, why do you bar he who believes from the Path of Allah and seek to make it crooked, when you yourselves are witnesses ? Allah is not inattentive of what you do '
    कहो," ऐ किताबवालो! तुम ईमान लानेवालों को अल्लाह के मार्ग से क्यो रोकते हो, तुम्हें उसमें किसी टेढ़ की तलाश रहती है, जबकि तुम भली - भाँति वास्तविकता से अवगत हो और जो कुछ तुम कर रहे हो, अल्लाह उससे बेख़बर नहीं है ।"

  • Yet after that your hearts became as hard as rock or even harder. Indeed among the stones are those from which rivers burst. And others split so that water issues from them ; and others crash down through fear of Allah. Allah is not inattentive of what you do.
    फिर इसके पश्चात भी तुम्हारे दिल कठोर हो गए, तो वे पत्थरों की तरह हो गए बल्कि उनसे भी अधिक कठोर ; क्योंकि कुछ पत्थर ऐसे भी होते है जिनसे नहरें फूट निकलती है, और कुछ ऐसे भी होते है कि फट जाते है तो उनमें से पानी निकलने लगता है, और उनमें से कुछ ऐसे भी होते है जो अल्लाह के भय से गिर जाते है । और अल्लाह, जो कुछ तुम कर रहे हो, उससे बेखबर नहीं है

0



  0