निरन्तर
नित्य
अविनाशी
शाश्वत
अनन्त
चिरस्थायी
All this action is only His power and knowledge and self - delight going abroad in His infinite being to do the works of His eternal wisdom and will.
जगत् का यह समस्त व्यापार केवल उसका बल, ज्ञान और आनन्द ही है जो उसकी सनातन प्रज्ञा और संकल्प - शक्ति के कार्यों को करने के लिये उसकी अनन्त सत्ता में यत्र - तत्र - सर्वत्र प्रकट हो रहे हैं ।
The great sage had attained the supreme state where there was nothing but eternal vision, eternal knowledge, eternal happiness and eternal energy.
समस्त कर्मों का नाश हो गया, महामुनि ने परमपद को पा लिया, जहां अनंत दर्शन, अनंत ज्ञान, अनंत सुख और अनंत वीर्य के अतिरिक्त और कुछ नहीं था ।
But the gnostic soul, the vijnanamaya purusa, is the first to participate not only in the freedom, but in the power and sovereignty of the eternal.
परन्तु विज्ञानमय पुरुष वह पहली सत्ता है जो सनातन के स्वातंत्र्य में ही नहीं बल्कि उसकी शक्ति और प्रभुता में भी भाग लेती है ।
The eternal is the one infinite conscious Existence, Purusha, and not something inconscient and mechanical ; it exists eternally in its delight of the force of its own conscious being founded in an equilibrium of unity ; but it exists also in the no less eternal delight of its force of conscious being at play with various creative self - experience in the universe.
सनातन ब्रह्य, एकमेव, अनन्त, चिन्मय के सत्ता अर्थात् पुरुष है, कोई निश्चेतन एवं यान्त्रिक वस्तु नहीं; जब उसकी चिन्मय सत्ता की शक्ति एकत्व की साम्यावस्था में स्थित होती है जब भी वह नित्य ही इस शक्ति के आनन्द में अवस्थित रहता है; पर जब उसकी चिन्मय सत्ता की शक्ति विश्व में नानविध सर्जनक्षम स्वानुभव के साथ लीला में रत होती है तब भी वह इसके उतने ही नित्य आनन्द में अवस्थित रहता है ।
Therefore, the author of the book Samkhya does not consider the reward of paradise a special gain, because it has an end and is not eternal, and because this kind of life resembles the life of this our world ; for it is not free from ambition and envy, having in itself various degrees and classes of existence, whilst cupidity and desire do not cease save where there is perfect equality.
इसलिए ? सांख़्य ? नामक ग्रंथ का लेखक स्वर्ग की प्राप्ति के रूप में मिले पुरस्कार को कोई विशेष लाभ नहीं मानता, क़्योंकि वह शाश्वत नहीं है बल्कि उसकी भी एक सीमा है. दूसरा कारण वह यह मानता है कि इस प्रकार का जीवन हमारे इसी संसार के जीवन से बहुत मिलता - जुलता है क़्योंकि वह इच्छा और द्वेष से परे नहीं है और उसमें भी जीवन की कई श्रेणियां हैं और वर्ग हैं जहां केवल उन स्थितियों को छोड़कर जहां संपूर्ण समता आ चुकी है अर्थ - लिप्सा और स्पृहा का अंत नहीं होता.
Such was the integrity and vitality of Bhai Vir Singh ' s early poetic experience, which touched the strings of his being to eternal music, and so faithful his adherence to it that time made little difference to the freshness of his creative spirit.
भाई वीर सिंह की पूर्व काव्य अनुभवों की यही ईमानदारी और ओजस्विता थी जिसने प्राणी जगत के अंतः संगीत के तंतुओं को छुआ तथा इसके प्रति उनकी संपृक्तता इतनी विश्वसनीय थी कि उनकी रचनात्मक शक्ति की ताजगी के लिए समय ने थोड़ा - सा फर्क प्रस्तुत किया ।
He says ' Nas hon lok, parlok, bhraham lok sabh Nas hon devta na atma da nash hai ' This world and the hereafter or the heavenly abode may be destroyed ; neither the gods - nor the eternal Spirit can ever be destroyed.
वे कहते हैं, लोक और परलोक सबका नाश हो जायेगा पर परमात्मा और आत्मा नाशवान नहीं है ।
Within you is the Kingdom of the Lordl 195 The bliss supreme on tasting which The mind will cease from further search, The heart from which is copious spring Of ever - fresh experience flows, This heart of bliss, Enchanting and eternal, This Is Siva. 202 Beyond his destined length of days Markanda lived, defying Death.
195 वह परम आनंद जिसका स्वाद चख मन छोड़ देता खोज सब, वह हृदय जिससे उमड़ता नित - नयी अनुभूति का सोता अजस्त्र, वह हृदय आनंदमय ही है चिरंतन शिव परम आह्वादकर ।
The Ninety Nine Names of God are found as calligraphic inscriptions on the sides of the actual tomb of Mumtaz Mahal, in the crypt including “ ”O Noble, O Magnificent, O Majestic, O Unique, O eternal, O Glorious.. and
तहखाने में बनी मुमताज महल की असली कब्र पर अल्लाह के निन्यानवे नाम खुदे हैं जिनमें से कुछ हैं ओ नीतिवान ओ भव्य ओ राजसी ओ अनुपम ओ अपूर्व ओ अनन्तअनन्त ओ तेजस्वी... आदि ।
And such will be the Paradise promised to the God - fearing: rivers will flow beneath it, its fruits will be eternal, and so will be its blissful shade. That is the ultimate destiny of the God - fearing while Fire is the destiny of the unbelievers.
जिस बाग़ का परहेज़गारों से वायदा किया गया है उसकी सिफत ये है कि उसके नीचे नहरें जारी होगी उसके मेवे सदाबहार और ऐसे ही उसकी छॉव भी ये अन्जाम है उन लोगों को जो परहेज़गार थे और काफिरों का अन्जाम आग है