गुस्सा
घृणा करना
घृणा
जुगुप्सा
नफरतअ
चिढ़ पैदा करना
The disbelievers will indeed be called out to – “ Indeed Allah’s disgust with you is greater than your own abhorrence of yourselves, whereas you used to deny when you were called towards the faith! ”
जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उनसे पुकार कर कह दिया जाएगा कि जितना तुम अपनी जान से बेज़ार हो उससे बढ़कर ख़ुदा तुमसे बेज़ार था जब तुम ईमान की तरफ बुलाए जाते थे तो कुफ्र करते थे
In a letter to Thierfelder on the eve of his departure for India from Europe in March 1936, Subhas Chandra expressed his disgust and disappointment with the policy of Nazi Germany in the following terms: The recent speech of Herr Hitler in Munich gives the essence of Nazi philosophy. which had a very weak scientific foundation.
यूरोप से भारत रवाना होते समय, मार्च, 1936 में, नात्सी जर्मनी के प्रति सुभाष चन्द्र ने इन शब्दों में अपनी खीझ और निराशाव्यक्त की थीः म्यूनिख में हाल ही में दिया हिटलर का हर भाषण नात्सी दर्शन का सार प्रस्तुत करता है... जिसका वैज्ञानिक आधार बड़ा दुर्बल है ।
When Allah, the One and Only, is mentioned, the hearts of those who believe not in the Hereafter are filled with disgust and horror ; but when other than He are mentioned, behold, they are filled with joy!
अकेले अल्लाह का ज़िक्र किया जाता है तो जो लोग आख़िरत पर ईमान नहीं रखते उनके दिल भिंचने लगते है, किन्तु जब उसके सिवा दूसरों का ज़िक्र होता है तो क्या देखते है कि वे खुशी से खिले जा रहे है
He stood before the examiners and recited the Führer ' s life story like a robot, with his heart full of mute disgust ; it was all so remote, so tormenting, so absurd.
परीक्षकों के सम्मुख खड़ा होकर वह मशीन के पुतले की तरह फ्यूटर की जीवन - कथा सुनाता रहा । उसका मन मूक धुरगा से भर उठा था ; हर चीज़ कितनी दूर, कितनी यातनामय, कितनी अर्थहीन - सी जान पड़ रही थी ।
It is He Who has made you the successors of your predecessors in the earth ; so whoever disbelieves – his disbelief falls only on him ; and for the disbelievers, their disbelief increases nothing in their Lord’s sight except disgust ; and for the disbelievers, their disbelief increases nothing for them except ruin.
वही तो है जिसने तुम्हे धरती में ख़लीफ़ा बनाया । अब तो कोई इनकार करेगा, उसके इनकार का वबाल उसी पर है । इनकार करनेवालों का इनकार उनके रब के यहाँ केवल प्रकोप ही को बढ़ाता है, और इनकार करनेवालों का इनकार केवल घाटे में ही अभिवृद्धि करता है
Those who disbelieve will certainly be told:" God ' s displeasure was greater than your disgust of your selves when you were called to belief and refused to believe."
जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उनसे पुकार कर कह दिया जाएगा कि जितना तुम अपनी जान से बेज़ार हो उससे बढ़कर ख़ुदा तुमसे बेज़ार था जब तुम ईमान की तरफ बुलाए जाते थे तो कुफ्र करते थे
But indifference must not settle into an inert turning away from action and experience ; it must not be an aversion born of weariness, disgust and distaste, a recoil of disappointed or satiated desire, the sullenness of a baffled and dissatisfied egoism forced back from its passionate aims.
परन्तु इस उदासीनता को कर्म तथा अनुभव से निष्क्रिय पराड़मुखता के रूप में स्थायी नहीं हो जाना चाहिये ; यह व्याकुलता, विरक्ति तथा अरूचि से उत्पन्न घृणा - रूप नहीं होना चाहिये, न ही यह निराश या असन्तुष्ट कामना की ठिठक या उस पराजित एवं असंतुष्ट अहं की उद्विग्नता नहीं होनी चाहिये जो अपने रागयुक्त लक्ष्यों से बलात् पीछे हटा दिया गया है ।
There was such a smear campaign against him that he resigned from the Party Executive out of disgust.
उनके विरूद्ध चरित्र - हनन का ऐसा अभियान चला कि क्षुब्ध होकर उनहोंने पार्टी की कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया ।
The question arises that Madhavan being intelligent and loving, why did he not verify, before he left Malabar in disgust, the truth of the rumour about Indulekha ' s marriage to Suri Nambudiripad.
अब प्रश्न यह उठता है कि बुद्विमान एवं प्रिय माधवन, घृणा से ग्रस्त हो मलाबार छोड़ने से ग्रस्त हो मलाबार छोड़ने से पहले इन्दुलेखा के सूरी नम्बूरीपाद से विवाह की अफवाह के तथ्यों की जानकारी के लिए जाँच - पड़ताल क्यों नहीं करता ?
The greatful foreigner gladly turns Syama ' s lover, but when he comes to know of her inhuman conduct by which she procured his freedom he is filled with disgust and shame and leaves her.
परदेसी वज्रसेन कृतज्ञ होकर श्यामा का प्रेमी बन जाता है लेकिन उसे जब यह पता चलता है कि श्यामा ने उसे कितने अमानवीय ढंग से छुड़ाया था - वह लज्जा और घृणा से भरकर श्यामा को त्याग देता है.