जान बूझ कर
समझ-बूझ कर
We recognise it retrospectively as we realise how all our obscure and conflicting movements have been determined towards an end that we only now begin to perceive, how even before our entrance into the path of the Yoga the evolution of our life has been designedly led towards its turning - point.
तब हम इस स्त्रोत के प्रभाव को अपने पहले के जीवन में भी पहचान लेते हैं, क्योंकि हम यह अनुभव करते हैं कि हमारी सब अन्धकारमयी और संघर्षकारी चेष्टाएं एक ऐसे लक्ष्य की ओर स्थिर रूप से ले जायी गयी हैं जिसे हम केवल अब ही ही देखने लगते हैं, और यह भी कि योगमार्ग में हमारे प्रवेश करने से पहले भी हमारे जीवन का विकास अपनी निर्णायक दिशा की ओर योजनापूर्वक ले जाया गया है ।