Meaning of Sacrifice in Hindi - हिंदी में मतलब

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Ayush Rastogi
Mar 08, 2020   •  6 views
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  • न्योछावर

Synonyms of "Sacrifice"

"Sacrifice" शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • The third chapter seems to show that sacrifice chiefly means body - labour for service.
    गीता का तीसरा अध्याय कहता है कि यज्ञ का अर्थ है मुख्यत परोपकार के लिए शरीर का उपयोग ।

  • It is of course very questionable whether there was a physical sacrifice of human beings.
    यह हालांकि अवश्य ही प्रश्न करने योग्य है कि क्या मानव शरीर की बलि दी जाती थी.

  • The full recognition of this inner Guide, Master of the Yoga, lord, light, enjoyer and goal of all sacrifice and effort, is of the utmost importance in the path of integral perfection.
    इस अन्तःस्थित पथ - प्रदर्शक, योग के महेश्वेर, समस्त यज्ञ और पुरुषार्थ के भर्त्ता, प्रकाशदाता, भोक्ता और लक्ष्य को पूरी तरह से पहिचानना और अंगीकार करना सर्वांगीण पूर्णता के पथ में अत्यन्त महत्व रखता है ।

  • This was followed three years later by a powerful play, Visarjan, known in English as sacrifice.
    उनके तीन साल बाद एक शक्तिशाली नाटक विसर्जन प्रकाशित हुआ जिसका अंग्रेजी अनुवाद सैक्रिफाइस के नाम से जाना जाता है ।

  • All our thoughts, impulses, feelings, actions have to be referred to him for his sanction or disallowance, or if we cannot yet reach this point, to be offered to him in our sacrifice of aspiration, so that he may more and more descend into us and be present in them all and pervade them with all his will and power, his light and knowledge, his love and delight.
    हमें अपने सब विचारों, आवेगों, भावों और कार्यों को उनकी स्वीकृति या अस्वीकृति के लिये उनके समक्ष प्रस्तुत करना होगा, अथवा यदि हम अभी इस बिन्दु तक नहीं पहुंच सकते तो हमें इन्हें अपनी अभीप्सा के यज्ञ में उनके प्रति अर्पित करना होगा, जिससे वह हमारे अन्दर अधिकाधिक अवतीर्ण होकर इन सबमें उपस्थित रह सकें और इन्हें अपने समस्त संकल्प और बल, प्रकाश और ज्ञान, प्रेम और आनन्द से परिव्याप्त कर सकें ।

  • Ibrahim Shekarau, governor of Kano, one of the three Nigerian states that refused the polio vaccine, justified the decision not to vaccinate on the grounds that “ it is a lesser of two evils to sacrifice two, three, four, five, even ten children than allow hundreds of thousands or possibly millions of girl - children likely to be rendered infertile. ”
    नाईजीरिया के जिन तीन राज्यों ने अपने यहाँ पोलियो वैक्सीन देने से मना कर दिया उनमें से एक राज्य कानो के राज्यपाल इब्राहिम शेकाराउ ने अपने निर्णय को न्यायोचित ठहराते हुए कहा कि दो, तीन, पाँच. छ या फिर दस बच्चों का बलिदान उन सैकड़ों हजारों या लाखों संभावित महिलाओं को संतानोत्पत्ति की क्षमता से वंचित करने की अपेक्षा छोटा बलिदान है.

  • Not that he was not preceded by two centuries of training the house of Nanak had given to millions of men and women, in utter dedication to God who is one and the only one ; in catholicity of outlook and discipline of the spirit ; in inner cleanliness ; in humility and service ; in surrender and self - sacrifice ; even in the use of arms in defending one ' s way of life.
    यह ठीक है कि नानक पंथ, दो शताब्दी पहले से ही लाखों स्त्री पुरूषों को बह्म के प्रति पूर्ण समर्पण, उदार विचार आत्मचिंतन, आत्म शुद्धि, विनम्रता, सेवा भाव और आत्मत्याग तथा अपनी जीवन पद्वति और अपनी धर्म की रक्षा के लिए शस्र ग्रहण करने की सीख देता रहा था ।

  • A divine Force is at work and will choose at each moment what has to be done or has not to be done, what has to be momentarily or permanently taken up, The Ascent of the sacrifice - 2 187 momentarily or permanently abandoned.
    भागवत शक्ति कार्य कर रही है और वह हर क्षण चुनाव करेगी कि क्या करना है या क्या नहीं यज्ञ का आरोहपण 2 189 करना है, किसे क्षणिक या स्थायी रूप से ग्रहण करना है और किसे क्षणिक या स्थायी रूप में त्याग देना है ।

  • The one entirely acceptable sacrifice is a last and highest and uttermost self - giving, it is that surrender made face to face, with devotion and knowledge, freely and without any reserve to One who is at once our immanent Self, the environing constituent All, the Supreme Reality beyond this or any manifestation and, secretly, all these together, concealed everywhere, the immanent Transcendence.
    पूर्ण रूपसे स्वीकार्य यज्ञ तो केवल चरम और परम ऐकान्तिक आत्म - दान ही होता है अर्थात एक ऐसा समर्पण होता है जो एकमेव देव के प्रति जो एक साथ ही हमारी अन्तर्यामी आत्मा एवं चतुर्दिग्व्यापी उपादानभूत विश्वात्मा है तथा अभिव्यक्तिमात्र से परे परम सद्वस्तु है और गुप्त रूप से एक साथ ये सभी चीजें है, जो सर्वत्र निगूढ़ अन्तर्यामी परात्परता है ।

  • One has to achieve greatness by the dint of hard work and great sacrifice.
    यह महानता उसे अपने जीवन में त्याग और परिश्रम की भारी पूंजी लगाकर प्राप्त करनी होती है ।

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