दूरी
Farawayness
We have to see Life as a channel for the infinite Force divine and break the barrier of a sense - created and mind - created farness and division from it so that that divine Power may take possession of and direct and change all our life - activities until our vitality transfigured ceases in the end to be the limited life - force which now supports mind and body and becomes a figure of the all - blissful conscious - force of Sachchidananda.
हमें यह देखना होगा कि प्राण अनन्त दिव्य शक्ति के प्रवाह के लिये एक प्रणालिका है, और हमारे प्राण तथा दिव्य शक्ति के बीच हमारी इन्द्रियों और मन ने दूरी और भेद की जो दीवार खड़ी कर रखी है उसे तोड़ गिराना होगा, ताकि वह दिव्य शक्ति हमारी सभी प्राणिक क्रियाओं को अपने अधिकार में लाकर उन्हें संचालित तथा परिवर्तित कर सके जिससे कि अन्त में हमारा प्राण रूपान्तरित होकर आज की परह मन और शरीर को धारण करनेवाली सीमित प्राण - शक्ति रहना छोड़ दे ओर सच्चिदानन्द की आनन्दपूर्ण चिच्छक्ति की प्रतिमा बन जाय ।