Pubg का 'नशा' युवाओं के लिए खतरनाक

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Sushant Kumar
Apr 27, 2019   •  139 views

प्लेयरअननोन्स बैटलग्राउंड्स - ऑनलाइन बहुप्रतियोगी शाही युद्ध खेल है। जो पबजी निगम के द्वारा दक्षिण कोरियाई कंपनी ब्लूहोल के सहयोग से विकसित किया गया है।

यह गेम ब्रेंडन "प्लेयरअननोन" ग्रीन के पूर्व के खेलों से रूपांतरित, एक बैटल रॉयल नामक फिल्म से प्रेरित तथा ब्रेंडन ग्रीन के कलात्मक दिशानिर्देशों से निर्देशित है।

यह एक कॉम्बेट गेम है जिसमें 100 प्लेयर्स एयरप्लेन से एक आइलैंड पर उतरते हैं। यहां पहुंचने पर उन्हें वहां मौजूद अलग-अलग घर व स्थानों पर जाकर आर्म्स, दवाइयां और कॉम्बेट के लिए जरूरी चीजों को कलेक्ट करना होता है।

प्लेयर्स को बाइक, कार और बोट मिलती है ताकि वह हर जगह जा सकें और दूसरे अपोनन्ट को गेम में मारकर आगे बढ़ सकें। 100 लोगों में आखिर तक जिंदा रहने वाला प्लेयर गेम का विनर बनता है।

आज कल युवाओं पर गेम का नशा चढने लगा है। इसकी आदत उनके स्वास्थ्य पर भी असर डाल रही है। जिसे PUBG भी कहा जाता है। हाल ही में बेंगलुरू के युवाओं के माता-पिता के लिए नई परेशानी बन गया है।

जानकारी के अनुसार, इस गेम के कारण मेंटल हेल्थ कंडीशन के करीब 120 केस अब तक नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरो साइंस में रिपोर्ट किए गए हैं।बहुत ही हानिकारक हैं। इस तरह के गेम और वाकई मे बच्चो और युवाओं की मति भ्रष्ट कर रहे हैं।

नींद की परेशानी, असल जिंदगी से दूरी, कॉलेज व स्कूल से लगातार ऐब्सेंट होने, ग्रेड्स गिरने और गेम छोड़ने पर गुस्सा बढ़ने जैसी समस्याओं से पीड़ित युवा मरीजों की संख्या बढ़ती देख डॉक्टर्स भी हैरानी में हैं।

डॉक्टर मनोज कुमार ने एक केस के बारे में बताते हुए बताया कि हाल ही में 19 साल के लड़के को उसके पैरंट्स उनके पास लेकर आए थे। उन्हें बताया गया कि लड़का रात को करीब 4 बजे के बाद खेलना शुरू करता था ताकि वह इंटरनैश्नल प्लेयर्स के साथ गेम को खेल सके।

इस वजह से उसका स्लीपिंग पैटर्न बदल गया। वह दोपहर में करीब 12 बजे उठता और फिर करीब 8 घंटे तक लगातार गेम ही खेलता रहता। इस कारण वह कॉलेज से ऐब्सेंट रहने लगा और उसके मार्क्स गिरने लगे। माता-पिता उसे गेम छोड़ने को कहते तो वह काफी अग्रेसिव हो जाता।

जब डॉक्टर मनोज के पास बच्चें को लाया गया तब एकदम से गेम नही खेलने की राय देने की जगह उसे शाम को गेम खेलने के लिए कहा, वह उसे गेम छोड़ने के लिए कहते थे। यह उसे उसकी जिंदगी में दखल जैसा है।

इस केस को लेकर डॉक्टर ने लड़के को एकदम से गेम छोड़ने की सलाह देने की जगह उसे शाम को गेम खेलने के लिए कहा, ताकि धीरे-धीरे पहले उसका स्लीपिंग पैटर्न नॉर्मल किया जा सके।

पैरंट्स को लड़के से ज्यादा से ज्यादा बात करने और उसके साथ टाइम बिताने के लिए कहा गया ताकि उसे गेम खेलने का कम से कम समय मिले। लड़के को गेम खेलने के बाद करीब 10 बार आंखों को ब्लिंक करने, हाथों और कलाई को घुमाने जैसे व्यायाम करने के लिए कहा गया। ऐसा होने पर उसका अग्रेशन कम होने लगा।

डॉक्टर्स के मुताबिक गेमिंग की लत वाले युवा मेंटल हेल्थ कंडीशन से पीड़ित होते हैं। इसका कोई इलाज नहीं है बस लंबे समय और धैर्य के साथ ही इस समस्या को दूर कम किया जा सकता है। अपने बच्चों की इस मेंटल हेल्थ का असर पैरंट्स पर भी होता है ऐसे में कई बार उनकी भी काउंसलिंग की जाती है।

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