बदलता समय , बदलता भोजन।

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Mayank
Aug 28, 2019   •  36 views

भोजन, जीवन की सबसे बुनियादी जरूरत। हमें हमारे शरीर में जो कुछ भी दिख रहा है वो सब भोजन के कारण ही संभव हो पाया है। हमारे शरीर की कोशिकाओं को , अंगों को सिर्फ भोजन ही सबसे ज्यादा मात्रा में ऊर्जा देता है। इसी के जरिये हमारा पैदा हुआ छोटा सा शरीर एक वयस्क में परिवर्तित हो पाता है। इस पृथ्वी पर हर जीवित प्राणी अपने अंदर भोजन के रूप में किसी जीव को लेता है या किसी पौधे को। हम भी भोजन के रूप में इस धरती पर उग रहे अनाज का इस्तेमाल करते है और जो मांसाहारी है वह लोग किसी जीव को भोजन के रूप में ग्रहण करते है। हम जो भी खाते है वो हमारे भीतर जाकर हम में ही परिवर्तित हो जाता है और हमारे शरीर का निर्माण करता है। इसका मतलब हमारे भौतिक अस्तित्व का सबसे बड़ा जरिया ही भोजन है। यह बेहद जरूरी है की हम अपने खाने के ऊपर अच्छे से ध्यान दे।

भिभिन देशों के अपने अपने भोजन होते है और हर देश ,हर राज, हर क्षेत्र में एक चर्चित पकवान जरूर होता है क्योंकि जगह कोई भी हो भोजन हमेशा से ही इंसान की सबसे प्रिय चीज होती है। एक कहावत के अनुसार यह कहा जाता है कि आदमी के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर निकलता है। तार्किक बुद्धि को एक तरफ करके सोचे तो यह बात सही भी है । इसलिए किसी को खुश करने के लिए हमेशा से ही उसकी भोजन की थाली में स्वाद परोसा जाता है।

जैसा की मैने पहले भी कहा कि हर जगह के भोजन की अपनी खासियत होती है और इसी के कारण हमारे खाने ने भी दुनिया की सैर की है। इतिहास में खाने के अलग किस्से सुनने को मिलते है । जिन लोगो ने यात्रा शुरू की और एक जगह से दूसरी जगह गए वह अपने साथ अपने क्षेत्र के कहने के तरीके और विधि साथ ले गए और जब वह वापस हुए तो अपने साथ खाने की कुछ विधियाँ ले गए। भारत में अंग्रेज भी यहाँ के मसालों से प्रभावित होकर आये थे। वो आये तो अपने साथ एक नयी संस्कृति लेकर आये। आज भारत में शायद ही ऐसा कोई पकवान होगा जो न मिलता हो क्योंकि अब विशेष रूप से किसी एक तरह के खाने के लिए रेस्टुरेंट खुल रहे है , कोई सिर्फ चाइनीस फ़ूड बेच रहा है तो कोई इटैलियन। इसी बीच भारत में रह रहे लोग अब स्वाद से ज़्यादा नाम के आधार पर भोजन करने लगे है। लोग कहते है कि आज का ज़माना फ़ास्ट फ़ूड का है।मुझे यह बातें पूरी तरह बकवास लगती है क्योंकि मैं समझता हूं कि जमाना कोई भी हो पर भोजन हमेशा ऐसा हो जो हमारे शरीर की उन्नति के लिए बना हो अगर किसी प्रकार का भोजन हमें हानि पहुँचाये तो वह भोजन न होकर जहर बन जाता है। जिस फ़ास्ट फ़ूड की हम बात कर रहे है उसमे जंक फूड भी आता है। यह अपने आप में बड़ी जटिल चीज है कि हम किसी ख़ास तरह के खाने को जंक कह रहे है और उसे बड़े चाव से खा रहे है। शोध बताते है कि इस तरह का खाना हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा असर नही डालता। फिर यही से शुरू होता है बड़ी फ़ूड कंपनियों का जाल बिछाना। मुझे याद है कुछ समय पहले जंक फूड पर बड़ी बेहस चल थी इससे कुछ बड़ी कंपनियां घाटे में जा रही थी। क्योंकि धीरे धीरे लोग बर्गर ,पिज़्ज़ा से दूर भागने लगे थे। कुछ समय बाद इनके विज्ञापनों में ऐसा दिखाना शुरू कर दिया की अगर आप यह बर्गर नही खाते तो आप आज भी पुराने ज़माने के है। मैंने स्वयं देखा है कि बाजार में ऐसी टी शर्ट आ गयी थी जिसमे सामने की ओर एक लड़का सोफे में लेटा हुआ है और उसके पास जंक फूड रखा है और उसके नीचे लिखा हुआ है 'आई लव जंक फूड'। मुझे बताने की जरूरत नही है कि आज कल हर कोई बस मॉडर्न बनना चाहता है और कंपनियों के विज्ञापनों ने ऐसा माहौल भी बना दिया है जहाँ अगर कोई फ़ास्ट फ़ूड को पसंद नही करता तो उसे पुराने ज़माने का मान लिया जाता है। अब शायद एक छोटी सी बात हमारे समझ में नही आ रही की हम खाना क्यों खाते है । पिज़्ज़ा ,बर्गर , सैंडविच और अन्य ऐसे व्यंजनों को क्यों दिखावे का जरिया मान लिया गया है। यह बात थोड़ी अजीब है पर मानसिकता ऐसी ही बानी हुई है कि यह अमीर लोगो का खाना है , यह आज के युग का खाना है। यह बहुत ही विचलित करने वाली बात है कि यहाँ खाने को भी किसी एक निर्धारित नज़रिये से देखा जाता है। बहुत ही छोटी सी बात है खाना हम सिर्फ भूक मिटाने के लिए खाते है या सिर्फ स्वाद के लिए। मुझे इन दो कारणों के अलावा और तो कुछ नही दिखता अगर आपको खाने में इन दो वजहों के अलावा कोई तीसरी वजह दिखाई देती है तो फिर आप भी शायद दिखावे और खाने को किसी खास चीज से जोड़ने वाला की श्रृंगला में आ रहे है। हर देश की संस्कृति में भोजन का एक अलग योगदान रहता है , फिर भारत तो संस्कृतियों का ही देश है । यहाँ के भोजन को बनाने का एक ख़ास देशी तरीका हुआ करता था क्योंकि हमारे पूर्वज यह बात अच्छे से जानते थे कि भोजन स्वाद के साथ मनुष्य के विकास में ख़ास भूमिका रखता है। आज बहुत सी चीजें समझ आती है जैसे भारी खल का इस्तेमाल क्यों किया जाता था। पत्थर की चक्की का गेंहू पीसने के अलावा क्या फ़ायदा था और मिक्सर से पहले पत्थर का पीसना इस्तेमाल किया जाता था। यह पत्थर से बने उपकरण इसलिए इस्तेमाल किये जाते थे क्योंकि भोजन बनाने में योगदान के अलावा इनके उपयोग से शारीरिक व्यायाम भी हो जाया करता था। पहले शुद्ध घी की अहमियत हुआ करती थी , रोटी की अहमियत हुआ करती थी मगर अब कुछ हेल्थ एक्सपर्ट आपको घी खाने से रोकते है। आज की महिलाओं के हिसाब से घी उनका फिगर ख़राब कर देगा और जो लोग बॉडीबिल्डिंग करते वो भी इन चीजों से बचते है हलाकि विडम्बना यह है कि यही लोग बाज़ार से प्रोटीन खरीद कर खाते है जो काफी बार शरीर को नुकसान पहुँचाता है। अगर आप गामा पहलवान जैसे व्यक्तियों के बारे में जानना शुरू करेंगे तो पाएंगे कि उन्होंने कभी कोई प्रोटीन पाउडर का सेवन नही किया मगर उनमें इतनी ताकत ,इतना बल था कि उन्हें पूरी दुनिया में कोई हरा नही पाया था। मै यह नही चाहता की पश्चिमी खाना बंद कर देना चाहिए या इसे नकार दिया जाना चाहिए । मै खुद खाने का शौकीन हूँ तो मै बिलकुल चाहता हूँ की यह चीजें हमेशा मिले मगर हमे अपने खाने की अहमियत भी कम नही करनी चाहिए और न ही किसी एक तरह के भोजन को ऊँचा या नीचा करना चाहिये। बस भोजन को वैसे ही देखे जैसा है और कुछ नही।

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