आज हर किसी की आवश्यकता है ईयरफोन और यह आपको हर किसी के हाथ में नज़र आ जाएगा । ईयरफोन की दीवानगी इस हद तक है कि युवा वर्ग उठते, बैठते, चलते-फिरते ईयरफोन अपने पास रखता है। ईयरफोन के जरिए युवा अपने मनपंसद संगीत सुनते हैं। लेकिन वे इस बात से अनजान हैं कि ईयरफोन के प्रति उनका इतना गहरा लगाव उन्हें बहरा बना सकता है।
बहरेपन का एक कारण है आधुनिक जीवनशैली। श्रवण क्षमता क्षीण होना आज एक आम समस्या है। लेकिन शुरू में
इस बारे में कोई ध्यान नहीं देता और धीरे-धीरे यह समस्या स्थायी हो जाती है। बाद में यही समस्याबढ़कर बहरेपन का रूप ले लेती है या फिर कानों में हर समय दर्द की शिकयत भी रहने लगती है।
हाल में हुए शोध इस बात का खुलासा करते हैं कि लंबे समय तक तेज ध्वनि सुनने के कारण श्रवण क्षमता प्रभावित हो सकती है। क्योंकि तेज ध्वनि ईयर ड्रम को क्षति पहुंचा कर उसे पतला कर देती है।आमतौर पर लोगों के सुनने की क्षमता 50 साल की उम्र में प्रभावित होती है। लेकिन यह समस्या युवाओं में भी हो रही है और इसका कारण तेज वॉल्यूम में एमपी3 या आईपोड सुनना है।
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन एक घंटे से अधिक वक्त तक 80 डेसीबेल्स से अधिक तेज वॉल्यूम में संगीत सुनता है, तो उसे कम से कम 5 सालों में सुनने में कठिनाई से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है या फिर वह स्थायी रूप से बहरा हो सकता है।
हैंड फ्री की मस्ती आपकी सुनने की ताकत तो छीनती ही है साथ ही इससे याददाश्त, बोलने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इसके अलावाकई तरह की मानसिक समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं। ऐसे में व्यक्ति इंसोमिनिया, डिप्रेशन व पल्पिटेशन (कांपना) जैसी दिक्कतों से भी जूझने लगता है।