मुफ़्त की पाके शोहरत आदमी उड़ता जरूर है
है जो जीता कभी, वो बाद में मरता जरूर है
अभी है साथ तुम्हारे, पर कल मेरा होगा
ये वक़्त है बेवफ़ा आख़िर, बदलता जरूर है।
शुभम पाठक