ऐ क़ाश की जल्दी ही वो मक़ाम आ जाये
हाथों में हो बस चाय और हसीं शाम आ जाये।
चर्चे भी मेरे नाम के कुछ यूँ मशहूर हों
आये जो उसको हिचकी तो मेरा नाम आ जाये।
शुभम पाठक