तेरी तस्वीर क्या देखी जैसे कोई खजाना मिल गया

दर्द भी ऐसा हुआ कि जख्म कोई पुराना मिल गया

अब याद तेरी आयी तो आँसू भी आ ही गए

रोना नही चाहता था मगर रोने का बहाना मिलगया

शुभम पाठक

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