बाधाओं से क्या है लेना, उसको तो आना ही है
रुकने से मतलब ही क्या है, मंज़िल तो पाना ही है आँखों में जो हैं ख़्वाब अभी तक सूने-सूने
वो आज नही तो कल पूरा हो जाना ही है
आधा रास्ता तो कट ही गया है आधा भी कट जाएगा
अबकी मिल जाएगी मंज़िल ग़र फिर से तू डट जाएगा
हमेशा कि तरह ही अब आगे बढ़ते हैं
चलो इक बार फिर से कोशिश करते हैं।
सफ़र को अब अधूरा छोड़ने से क्या मिलेगा
अपने रास्ते को कहीं और मोड़ने से क्या मिलेगा
मिलेगा ग़र तो बस पछतावा और ज़लालत
न रहेगी ख़ुद में हिम्मत न आगे बढ़ने की हालत
बेग़ैरत हो जाएंगे सब घर,दोस्त और परिवार
मिलेगा बस एहसानों का बोझ और तानो की मार
कमी हममे क्या है आख़िर क्यों ही डरते
चलो इक बार फिर से कोशिश करते हैं।
"कुछ नही कर पाओगे", हम ये सुनकर भी चुप रहे
बातें सुनी ताने सुनें और न जाने क्या क्या सहे
ख़ुद के लिए तो बनना ही है पर उन्हें भी दिखाना है
जो कहते थे कि कुछ नहीं,पढ़ाई तो बस बहाना है
लोगों के जलने से मैं अपने हाथों को सेंक रहा हूँ
बहुत दूर नहीं अब मंजिल ये मैं मन से देख रहा हूँ
क्यों न इस बार पूरी ताकत से लड़ते हैं
चलो इक बार फिर से कोशिश करते हैं।
शुभम पाठक