आँखे निकल कर तब हाथ पर आ गयी
जब बात निभाने की साथ पर आ गयी
धोखेबाज़ थी वो मुझे तब पता चला
जब बात किसी और कि अब रात पर आ गयी।
उसकी याद अब मेरे बात पर आ गयी
ठेस ऐसी लगी कि जज़्बात पर आ गयी
धोखा देके जा रही थी,जाने दिया मैंने
बेवफ़ा ही थी अपने औकात पर आ गयी।
शुभम पाठक