कुछ वर्ष पहले पड़ोस का काकू एक प्रसारण समाचार लाया |

समाचार सुनते ही पिता जी ने दुकान का शटर नीचे कराया |

मैंने आधी खुली आँखों से ये सब देखा और दोबारा सो गया |

किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई तो उठा, न जाने अब क्या हो गया |

बाहर निकला तो दूर से हरे रंग की फूलो से लदी एक गाड़ी आ रही थी |

दूसरी और सत्यम भैया की मम्मी रोती - बिलखती - चिल्ला रही थी |

मै समझ न पाया कि इन्हे क्या पीड़ा है , पति सरकारी कर्मचारी है,

बड़ा लड़का सेना में अच्छे पद पर है , छोटे की भी पूरी तैयारी है |

इतने में वो गाड़ी मेरे घर से कुछ आगे चलकर रुक गयी |

कुछ फौजी तिरंगे से लिपटा एक बक्सा लेकर उतरे, और मेरे पाँव तले जमीं खिसक गई |

मै उभर ही रहा था कि मेरी नज़र रामगोपाल अंकल पर पड़ी ,

मै आश्चर्यचकित हुआ देखकर की इनके घर में इतने दुःख-सन्ताप हैं

फिर भी आंखे ज़रा भी नम नहीं, न जाने कैसा बाप है

जवान बेटा शहीद हुआ है और ज़रा भी शिकन नहीं मस्तक पर,

यक़ीनन गर्व होगा उनकी आँखों में जो भारी पड रहा था इस दुःख पर |

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