यहाँ किसी मूवी की बात नही हो रही है । यह घर घर की कहानी का तात्पर्य हमारे घरों से जुड़ी कहानी के विषय में बात की गई है।आज समाज मे हर घर की कहानी अलग होती है किसी का परिवार साथ में रहता है , तो कोई पैसो के लिए अपने माता पिता को ठुकरा देते है , कहि बहन अपने भाई से अलग हो जाती है तो कही भाई अपनी बहन से, कही भाई ही भाई दुश्मन बन जाते है ।
आज हमारे सब के घर मे किसी की बुआ गन्दी होंगी , किसीके चाचा , किसीके बड़े पापा, किसी की मामी , किसी की देवरानि, तो किसी की ननद , तो किसी की बहु , किसी की सास आदि हर घर मे ऐसे लोग दिखते है ।
बचपन मे जब एक भाई को चोट लगती थी तो दूसरा भाई दौड़ते हुए आता था चोट छोटे भाई को लगती थी पर उसका दर्द बड़े भाई को होता था । लेकिन आज वो दिन कहा गए जब छोटा भाई मुसीबत में होता है तो बड़ा भाई मौज कर रहा होता है , लोग कहते है कि शादी के बाद सब बदल जाते है परंतु लोग वही रहते है बस लोगो को हालात बदल देता है इसका मुख्य कारण एक पत्नी और पैसा होता है ।
एक औरत घर बना भी सकती है , और घर बिगाड़ भी सकती है। पैसा भी इसका मुख्य कारण है क्योंकि जहाँ पैसो को घमण्ड चढ़ा वहाँ रिश्ते नाते सब बिखड़ जाते है।
और पहले जब बहन को कोई छेड़ दे तो दोनों भाईएक साथ उसके लिए लड़ जाते थे पर आज वो दिन आ गया है कि जो भाई ज्यादा पैसो से मजबूत है उसका हाल पूछा जाता है दूसरा भी का भले ही तबियत खराब हो उसको तो देख कर भी हाल नही पूछा जाता ।
जब एक बेटी दूसरे के घर मे जाती है वहाँ पर भी ऐसा परिवार होता है तो उस बेटी को भी यही समझना चाहिए चाहे लोग कैसे भी क्यों न हो हमे अपना कर्तव्य और अब ये वाले घर को संजोकर रखना है देवर को भाई , सास को माँ, ससुर को पिता, अगर जेठ हो तो बड़ा भाई , नन्द हो तो उसे बहन सामझ लेना चाहिए ।हमेशा उस रिश्ते को एक रिश्ते की नज़र से न देख कर उसे अपने घर की नज़र से देखना चाहिए।
जैसा कि पहले मैंने कहा कि एक औरत घर बना भी सकती है और वही औरत घर बिगाड़ भी सकती है। अब चाहे वो एक घर की बेटी हो या फिर वो एक बहु , या फिर सास ।
घर का अर्थ ही यही होता है जिस घर मे भाई , बहन , माँ, बाप, और बहू हो वो घर का असली अर्थ होता है । और जहा न माँ-बाप हो वो घर -घर नही बल्कि एक भीक में मिला टुकड़ा हो।
असली मज़ा सबके साथ आता है यारो चाहें कितनी भी लड़ाई ही क्यों न हो जाये साथ किसीका न छोड़ो , औऱ न ही किसी घर का बंटवारा करो क्योंकि जिस घर को आप लक्ष्मी कहते हो उसी घर की लक्ष्मी को आप बाट देते हो तो इससे बड़ी पाप की बात क्या हो सकती है जो घर की लक्ष्मी को ही अलग कर दे।रिश्ता पैसो से नही दिल और प्यार से निभाया जाता है।