बचपन से बड़ा करती है वो, पाल कर तुमको
रखती है अपने आँचल में सम्भाल कर तुमको
तुम्हें लगता होगा कि बड़ा आसान है जीना यहाँ
हर मुसीबत से लड़ती है टाल कर तुमको
है माँ तुम्हारी प्यारी सी इस पर तुम अभिमान करो
दिन कोई क्यों न हो हर नारी का सम्मान करो।
तुम्हारे साथ ही साथ वो भी बड़ी हुई
तुम्हारे हर ग़लती पर लड़ने को वो साथ खड़ी हुई
हर दिन हर पल तुम गलती करते रहे,पर
मेरा भाई ही है सही, वो इस पर अड़ी हुई
वो जिसने बांधी हमेशा राखी,उसका मान करो
दिन कोई क्यों न हो हर नारी का सम्मान करो।
वो बहन हो या हो बेटी उससे बड़े अदब से बोलो
क्यों देते महिला के नाम पर गाली, ये राज़ खोलो
बड़ा आसान होता है, शाब्दिक प्रहार कर देना
शब्दों के चयन से पहले उसके भाव को तोलो
कभी गाली न देना कम से कम इतना काम करो
दिन कोई क्यों न हो हर नारी का सम्मान करो।
शुभम पाठक