पाने के लिए कुछ खोना तो होगा

है दूर मंज़िल तो चलना तो होगा

कभी दिल मचलता है तो कभी जज़्बात

मंज़िल बड़ी हो तो ऐसे भरम का होना तो होगा

लोग छूटते जाएंगे इस दौड़ में

तेरे बढ़ते कदम को अफसोस न होगा

मंज़िल मिले न मिले तज़ुर्बे बहुत मिलेंगे

कोई तो ऐसा होगा जिसे तुझपे यकीन तो होगा

वो शायद तू ही होगा।

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