जब भी बैठूं मैं उदास,

मेरी मुस्कान बन बैठे तू मां

पापा की डांट के बाद भी खिलखिला कर हसाए,

ना जाने ये कोनसा जादू करे तू मां?

यूं मेरी हर गलती को भी नजरअंदाज कर,

ये कैसा प्यार दिखाएं तू मां

बस दो अक्षर का शब्द नहीं,

तू तो मेरा संसार है मां

अब गुमसुम बैठी है आजकल तू ,

पता है तेरा दर्द भी कोई क्या समझेगा

खोई है तूने भी वो नयाब चीज़

जिसे कभी तूने भी बुलाया होगा मां

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