काल्पनिकता
अवास्तविकता
Irreality
No doubt, we have rejected the trenchant solutions which cut the knot of the riddle of the universe ; we recognise it neither as a fiction of material appearance created by Force, nor as an unreality set up by the Mind, nor as a bundle of sensations, ideas and results of idea and sensation with a great Void or a great blissful Zero behind it to strive towards as our true truth of eternal non - existence.
इसमें सन्देह नहीं कि हमने उन तीखें समाधानों को त्याग दिया है जो विश्व की पहेली की गांठ ही काट डालते हैं, हम ऐसा नहीं मानते कि यह विश्व भौतिक प्रतीतियों की एक काल्पनिक सत्ता है जिसे शक्ति Force ने उत्पन्न किया हैं, या कि यह एक ऐसी मिथ्या माया है जिसे मन ने निर्मित किया है, या कि यह संवेदनों एंव विचारों तथा इनके परिणामों का एक ऐसा गठर है जिसके पीछे एक महत् रिक्तता या महान् आनन्दपूर्ण शून्य है और उस रिक्त्ता या शून्य को अपनी सनातन असत्ता का सच्चा सत्य मानते हुए हमें उसकी प्राप्ति के लिये यत्न करना चाहिये ।
Then his own daily existence appeared like a veil of unreality for him.
उसे रोजमर्रा का जीवन ही अस्वाभाविक लगने लगता ।
When we have once got rid of our confinement to this lower status, we are apt to seize on the other side of the same erroneous relation between self and world ; we tend to regard this eternity which we increasingly are or in which we live as the sole reality and begin to look down from it upon the world and man as a remote illusion and unreality, because that is a status quite opposite to our new foundation in which we no longer place our roots of consciousness, from which we have been lifted up and transfigured and with which we seem to have no longer any binding link.
जब एक बार हम इस निम्नतर स्थिति के बन्धन से मुक्त हो जाते हैं तो हम स्वभाववश आत्मा और जगत् के बीच के उसी गलत सम्बन्ध के दूसरे पक्ष को पकड़कर बैठ सकते हैं, हम इस सनातन सता को जो हम उत्तरोत्तर बनते जाते हैं या जिसमें हम निवास करते हैं, एकमात्र वास्तविक सत्ता समझने लगते हैं और इसपर से संसार तथा मनुष्य को अपने - आपसे सुदूर एक माया एवं मिथ्या वस्तु के रूप में तुच्छता की दृष्टि से देखने लगत हैं, क्योकि यह एक ऐसी स्थिति है जो हमारे नये आधार के सर्वथा विपरीत है, जिसमें हम अब और अधिक अपनी चेतना की जड़ें नहीं जमाते, जिससे हम ऊपर उठकर रूपान्तरित हो चुके हैं, और जिसके साथ हम अब आगे के लिये कोई अनिवार्य सम्बन्ध रखते नहीं प्रतीत होते ।
It observes them as if in a sort of action and play on a mental stage of personages other than itself, at first with interest and a habit of relapse into identification, then with entire calm and detachment, and, finally, attaining not only to calm but to the pure delight of its own silent existence, with a smile at their unreality as at the imaginary joys and sorrows of a child who is playing and loses himself in the play.
वह उन्हें इस प्रकार देखता है मानों मन के रंगमञ्च पर उससे भिन्न अन्य व्यक्तियों का एक प्रकार का खेल एवं अभिनय हो रहा हो, पहले तो वह उनमें रस लेता है और अभ्यास के कारण बारम्बार उनके साथ तदात्मता स्थापित करता रहता है, बाद में वह उन्हें पूर्णतया स्थिर और निर्लिप्त भाव से देखता है, और अन्त में, अपनी नीरव सत्ता की शान्ति ही नहीं, बल्कि उसका शुद्ध आनन्द भी प्राप्त करके, उनकी अवास्तविकता पर इस प्रकार मुस्कराता है जिस प्रकार कोई आदमी एक बच्चे के, जो खेल रहा हे और उस खेल में अपने - आपको बिलकुल भूल जाता है, काल्पनिक सुख - दुःखों पर मुस्कराया करता है ।
The Self that becomes all these forms of things is the Virat or universal Soul ; the Self that creates all these forms is Hiranyagarbha, the luminous or creatively perceptive Soul ; the Self that contains all these things involved in it is Prajna, the conscious Cause or originally determining Soul ; beyond all these is the Absolute who permits all this unreality, but has no dealings with it.
जो आत्मा वस्तुओं के ये सभी रूप धारण करता है कि वह विराट् या वैश्व पुरूष कहलाता है ; जो आत्मा इन सब रूपों का निमार्ण करता है वह हिण्यभर्ग अथार्त् ज्योतिमर्य या ज्ञानपूर्व सर्जन करनेवाला पुरूष कहलाता है ; जो आत्मा इन सब पदार्थों को अपने अन्दर आवृत रूप में धारण करता है वह प्राज्ञ अर्थात् सचेतन कारण या मूमल निधार्रक पुरूष कहलाता है, इन सबके परे है निरपेक्ष ब्रह्मा जो इस सब अवास्तविक प्रंपच को अनुमति देता है, पर इससे किसी प्रयकार का सम्बन्ध नहीं रखता ।
Our minds are no longer subject to the delusion of trivial unworthiness or the illusion of unreality.
हमारे मन तब क्षुद्र निरर्थकता की भ्रान्ति या मित्यात्व की माया के अधीन नहीं रहते ।
There is not in her, although she devises a cosmic mechanism, the character of an inconscient mechanical Executrix which we find in the first physiognomy of Prakriti, the Nature - Force ; neither is there that sense of an unreality, creatrix of illusions or semi - illusions, which is attached to our first view of Maya.
यद्यपि प्रकृति संसार के यन्त्रवत् चलने की क्रिया को आयोजित करती है तो भी उसका वास्तविक रूप यह नहीं कि वह निश्चेतन तथा यन्त्रवत् कार्य - निष्पादन करनेवाली शक्ति है, जेसा कि उसके बाह्याकार पर प्रथम दृष्टि डालते ही हम अनुभव करते है ; न ही उसमें वह मिथ्यात्व का धर्म है जो माया - विषयक हमारी प्रथम धारण से जुड़ा रहता है, अर्थात् यह धर्म कि वह भ्रमों या अर्द्ध - भ्रमों की सृष्टि करनेवाली है ।
On their side Science and Art and the knowledge of Life, although at first they served or lived in the shadow of Religion, ended by emancipating themselves, became The Ascent of the Sacrifice - 1 141 estranged or hostile, or have even recoiled with indifference, contempt or scepticism from what seem to them the cold, barren and distant or unsubstantial and illusory heights of unreality to which metaphysical Philosophy and Religion aspire.
परन्तु स्वयं यह रक्षात्मक विभाजन भी रूढ़िरूप तथा कृत्रिम बन गया और इसने रोग को ठीक करने के स्थान पर उसे बढ़ा दिया... दूसरी ओर विज्ञान, कला और जीवन - विद्या यद्यपि पहले धर्म की छत्रछाया में ही सेवा या निवास करते रहे, पर आगे चलकर ये उससे अलग हो गये, उसके विजातीय या विरोधी बन गये, अथवायहां तक कि उसने उन शिखरों से, जिनके लिये तत्त्वज्ञानात्म्क दर्शन और धर्म अभीप्सा करते हैं, पर जो इन्हें निरुत्साह, वन्ध्य और सूदूर या निःसार और मायमय तथा अवास्तविकता के शिखर प्रतीत होते हैं, ये उदासीनता, घृणा या सन्देहपूर्वक पीछे हट गये ।
Planning thus was not so much for the present, as for an unascertained future, and there was an air of unreality about it.
इस तरह यह योजना वर्तमान के लिए उतनी नहीं थी, जितनी कि आगे आने वाले दिनों के भविष्य के लिए, जिनके बारे में कुछ भी पता नहीं था ।
A more radical tone came into political discussion which, if it sometimes led to dangerous unreality, increased the self - confidence and determination of the new popular leaders.
राजनीतिक बहस के नये उग्र स्वर जो कभी कभी अयथार्थवादी होते हुए भी नये लोकप्रिय राजनीतिक नेताओं के संकल्प एवं आत्म - विश्वास को बढानेवाले थे ।