अनौचित्य
अन्याय
अन्यायपूर्णता
Fairness
We are of the opinion that it is now too late in the day for the learned Additional Solicitor General to wish away or ignore the concept of procedural unfairness – this is now ingrained in our Constitutional jurisprudence.
हम इस मत के हैं कि अपर महा सालिसिटर के लिए अब प्रक्रियात्मक अन्याय के सिद्धांत से छुटकारा पाने या उसकी अवज्ञा करने के लिए बहुत देर हो चुकी है - यह अब हमारे संविधानिक विधिशास्त्र में अंतर्निहित है.
His main concern was, not so much that the law should be observed, as that there should be no unfairness of any kind, and that the innocent should not be punished.
उनकी मुख्य दिलचस्पी कानून का पालन करने से भी अधिक इस बात में थी कि किसी भी तरह का अन्याय नहीं होना चाहिए और निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए ।
Madhavan is the spokesman of the young generation, questioning the unfairness of the old customs in the domestic and social life of Malabar.
माधवन युवा पीढ़ी का प्रवक्ता है जो मलाबार के आन्तरिक एवं सामाजिक जीवन में पुराने रीति - रिवाजों के कारण होने वाले पक्षपाती रवैये पर प्रश्नचिह्र लगाता है ।
Since he always spent more than he should, he naturally had to impose new taxes ; and after a time the people of Bombay began to feel the unfairness of being taxed heavily and yet having no say in the way the money was to be spent There was such strong feeling against Mr Crawford that in 1871, senior citizens of Bombay came together to protest against his extravagant autocracy.
सदैव उचित सीमा से कही अधिक व्यय करने के कारण, स्वाभाविक है कि उन्हें नये कर लगाने पड़े और कुछ ही समय में बंबई के लोग भारी कराधान भूगतने के बावजूद धन के व्यय में कोई अधिकार न होने के अन्याय को महसूस करने लगे. 1871 में श्री क्राफर्ड के Zविरूद्ध लोगों की इतनी सख़्त भावनाएं थीं कि बंबई के वरिष्ठ नागरिकों नेZ मिलकर उनके Zफिजूलखर्ची एकतंत्र का विरोध
On 21 March 1919, a. cartoon appeared in the Amritsar paper Waqt which depicted the unfairness with which Indians were being treated by the British Government even though the War was over.
21 मार्च 1919 की बात है, अमृतसर की एक पत्रिका ‘वक्त’ में एक कार्टून छपा जिसमें जंग के बाद भारत के साथ की जा रही बेइंसाफी कर टिप्पणी की थी ।
If a social leader does not appear on the scene to augur a renaissance or a revolution, it will always be the supreme function of art to excite in men the awareness of changing human values and open their eyes to the unfairness, injustice, selfishness and cruelty that surround human relationships.
यदि पुनर्जागरण या क्रान्ति हेतु कोई सामाजिक नेता आगे नहीं आता, तो यह कला का ही सर्वोपरि कार्य होगा कि वह लोगों में बदलते हुए मानवीय मूल्यों के प्रति संचेतनता उत्स्फूर्त करे और मानवीय सम्बन्धों को घेरकर रखनेवाले अनौचित्य, अन्याय, स्वार्थ व क्रूरता को बतलाने के लिए लोगों की आँखें खोले ।
We are of the opinion that it is now too late in the day for the learned Additional Solicitor General to wish away or ignore the concept of procedural unfairness – this is now ingrained in our Constitutional jurisprudence.
हम इस मत के हैं कि अपर महा सालिसिटर के लिए अब प्रक्रियात्मक अन्याय के सिद्धांत से छुटकारा पाने या उसकी अवज्ञा करने के लिए बहुत देर हो चुकी है - यह अब हमारे संविधानिक विधिशास्त्र में अंतर्निहित है.