ईमानदार
कर्तव्य निष्ठ
धर्मभीरु
अतिसतर्क
Unscrupulous
Chatrik was scrupulous about the literary aspects of his prose as he was in the case of his poetry.
चात्रिक अपने गद्य की साहित्यिकता के बारे में उतने ही सावधान थे जितने काव्य के बारे में ।
He raised the moral tone of the backward communities by preaching to them the simple and scrupulous way of life.
उन्होंने पिछड़ी जातियों को सरल और विवेकी जीवन पद्धति का अर्थ समझाकर, उनका नैतिक स्तर ऊपर उठाया ।
Believers, if you take a loan for a known period of time, have a just scribe write it down for you. The scribe should not refuse to do this as God has taught him. The debtor should dictate without any omission and have fear of God, his Lord. If the debtor is a fool, a minor, or one who is unable to dictate, his guardian should act with justice as his representative. Let two men or one man and two women whom you choose, bear witness to the contract so that if one of them makes a mistake the other could correct him. The witness must not refuse to testify when their testimony is needed. Do not disdain writing down a small or a large contract with all the details. A written record of the contract is more just in the sight of God, more helpful for the witness, and a more scrupulous way to avoid doubt. However, if everything in the contract is exchanged at the same time, there is no sin in not writing it down. Let some people bear witness to your trade contracts but the scribe or witness must not be harmed ; it is a sin to harm them. Have fear of God. God teaches you. He has knowledge of all things.
ऐ ईमानदारों जब एक मियादे मुक़र्ररा तक के लिए आपस में क़र्ज क़ा लेन देन करो तो उसे लिखा पढ़ी कर लिया करो और लिखने वाले को चाहिये कि तुम्हारे दरमियान तुम्हारे क़ौल व क़रार को, इन्साफ़ से ठीक ठीक लिखे और लिखने वाले को लिखने से इन्कार न करना चाहिये जिस तरह ख़ुदा ने उसे सिखाया है उसी तरह उसको भी वे उज़्र लिख देना चाहिये और जिसके ज़िम्मे क़र्ज़ आयद होता है उसी को चाहिए कि की इबारत बताता जाये और ख़ुदा से डरे जो उसका सच्चा पालने वाला है डरता रहे और और क़र्ज़ देने वाले के हुक़ूक़ में कुछ कमी न करे अगर क़र्ज़ लेने वाला कम अक्ल या माज़ूर या ख़ुद का मतलब लिखवा न सकता हो तो उसका सरपरस्त ठीक ठीक इन्साफ़ से लिखवा दे और अपने लोगों में से जिन लोगों को तुम गवाही लेने के लिये पसन्द करो दो मर्दों की गवाही कर लिया करो फिर अगर दो मर्द न हो तो एक मर्द और दो औरतें उन दोनों में से अगर एक भूल जाएगी तो एक दूसरी को याद दिला देगी, और जब गवाह हुक्काम के सामने बुलाया जाएं तो हाज़िर होने से इन्कार न करे और क़र्ज़ का मामला ख्वाह छोटा हो या उसकी मियाद मुअय्युन तक की लिखवाने में काहिली न करो, ख़ुदा के नज़दीक ये लिखा पढ़ी बहुत ही मुन्सिफ़ाना कारवाई है और गवाही के लिए भी बहुत मज़बूती है और बहुत क़रीन है कि तुम आईन्दा किसी तरह के शक व शुबहा में न पड़ो मगर जब नक़द सौदा हो जो तुम लोग आपस में उलट फेर किया करते हो तो उसकी के न लिखने में तुम पर कुछ इल्ज़ाम नहीं है और जब उसी तरह की ख़रीद हो तो गवाह कर लिया करो और क़ातिब और गवाह को ज़रर न पहुँचाया जाए और अगर तुम ऐसा कर बैठे तो ये ज़रूर तुम्हारी शरारत है और ख़ुदा से डरो ख़ुदा तुमको मामले की सफ़ाई सिखाता है और वह हर चीज़ को ख़ूब जानता है
As the president of the party, he presided over the deliberation of the Congress and the Working Committee with scrupulous fairness and cordiality towards all.
पार्टी - अध्यक्ष के रूप में उन्हें कांग्रेस के साथ - साथ कांग्रेस - कार्यकारिणी समिति की बैठकों की भी अध्यक्षता करनी होती थी, जिसके दौरान वे सभी के प्रति कर्तव्यनिष्ठ निष्पक्षता तथा मैत्री का निर्वाह करते थे ।
Even a teacher like Hogg whose lectures and writings contained, according to Dr. Gopal, a restrained hesitation of thought, a qualified moderataion, a scrupulous regard for all sides of a case and an anxiety to ensure all the qualifications for any statement, could wound the young scholar by explaining the Gita as favouring the ascetic ' s denial of life.
यहाँ तक कि हॉग जैसे शिक्षक भीजिन्हें व्याख्यानों और लेखों में डॉ. गोपाल के अनुसार, विचार का एक सीमित अनिश्चय, एक योग्य संयम, किसी मामले के सभी पहलुओं के प्रति एक कर्तव्यनिष्ट सम्मान तथा किसी वक्तव्य के लिए सभी विशेषताएँ सुनिश्चित करने की चिन्ता होती थी - गीता की अपनी व्याख्याओं से वे युवा विद्यार्थियों को आहत करते थे ।
Once our intelligence and will are well Purification The Lower Mentality 655 purified of all that limits them and gives them a wrong action or wrong direction, they can easily be perfected, can be made to respond to the suggestions of Truth, understand themselves and the rest of the being, see clearly and with a fine and scrupulous accuracy what they are doing and follow out the right way to do it without any hesitating or eager error or stumbling deviation.
एक बार जब हमारी बुद्धि और संकल्पशक्ति उन सब चीजों से मुक्त होकर भली - भांति शुद्ध हो जाती हैं जो उन्हें सीमित करके उनसे अशुद्ध क्रिया कराती हैं या उन्हें अशुद्ध दिशा प्रदान करती हैं तब उनहें सुगमता से पूर्ण बनाया जा सकता है, साथ ही उन्हें इस योग्य भी बनाया जा सकता है कि वे सत्य के सुझावों का प्रत्युत्तर दे सकें, अपने - आपको तथा शेष सारी सत्ता को समझ सकें, जो कार्य वे कर रहे हों उसे स्पष्ट रूप से तथा सूक्ष्म एवं विवेकपूर्ण यथार्थता के साथ देख सकें और द्विविधा या आतुरता से युक्त किसी भ्रान्ति या किसी स्खलनशील विच्युति के बिना उस कार्य को करने के ठीक मार्ग का अनुसरण कर सकें ।
As the president of the party, he presided over the deliberation of the Congress and the Working Committee with scrupulous fairness and cordiality towards all.
पार्टी - अध्यक्ष के रूप में उन्हें कांग्रेस के साथ - साथ कांग्रेस - कार्यकारिणी समिति की बैठकों की भी अध्यक्षता करनी होती थी, जिसके दौरान वे सभी के प्रति कर्तव्यनिष्ठ निष्पक्षता तथा मैत्री का निर्वाह करते थे.
Nor were they very scrupulous about restrictions of marriage imposed by casteism.
और न वे विवाह पर जाति आदि के बंधनों के बारे में ही सोचते थे ।
And especially in the psychical and other middle domains there is a very large room for the possibility of misleading and often captivating error, and here even a certain amount of positive scepticism has its use and at all events a great caution and scrupulous intellectual rectitude, but not the scepticism of the ordinary mind which amounts to a disabling denial.
और विशेषकर मानसिक तथा अन्य मध्यवर्ती प्रदेशों में असत्प्रेरक एवं प्रायः ही मोहक भ्रान्ति की सम्भावना के लिये बहुत अधिक अवकाश रहता है, और यहां भी कुछ मात्रा में भावात्मक सन्देहवाद उपयोगी होता है और, चाहे जो हो, अत्यधिक सावधानता एवं सूक्ष्म - बौद्धिक यथार्थता की जरूरत तो होती है, पर हां, साधारण मन का वह सन्देहवाद उचित नहीं जिसका अर्थ केवल अक्षमताजनक निषेध ही होता है ।
The latter are not always scrupulous, and not always wise even when they are scrupulous.
ये लोग सदा सिद्वान्त - पालक नहीं होते और सिद्वान्त - पालक होते भी है तो हमेशा बुद्विमान नहीं होते ।