Meaning of Greed in Hindi - हिंदी में मतलब

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Ayush Rastogi
Mar 07, 2020   •  1 view
  • तृष्णा

  • लालच

  • लालसा

Synonyms of "Greed"

  • Avarice

  • Covetousness

  • Rapacity

  • Avaritia

"Greed" शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • They reduce the help towards you ; so when a fearful time comes, you will observe them looking at you with eyes rolling like one enveloped by death ; then when the time of fear is over, they begin slandering you with sharp tongues in their greed for the war booty ; they have not accepted faith, therefore Allah has nullified their deeds ; and this is easy for Allah.
    तुम्हारे साथ कृपणता से काम लेते है । अतः जब भय का समय आ जाता है, तो तुम उन्हें देखते हो कि वे तुम्हारी ओर इस प्रकार ताक रहे कि उनकी आँखें चक्कर खा रही है, जैसे किसी व्यक्ति पर मौत की बेहोशी छा रही हो । किन्तु जब भय जाता रहता है तो वे माल के लोभ में तेज़ ज़बाने तुमपर चलाते है । ऐसे लोग ईमान लाए ही नहीं । अतः अल्लाह ने उनके कर्म उनकी जान को लागू कर दिए । और यह अल्लाह के लिए बहुत सरल है

  • The impetus behind it all is not the philanthropy to save labour, but greed.
    इस सबके पीछे प्रेरक शक्ति श्रम बचानेकी उदात्त भावना नही बल्कि लोभ है ।

  • and you devour the inheritance with greed,
    और सारी मीरास समेटकर खा जाते हो,

  • It was Chatrik ' s indirect indictment of the greed and meanness which prevailed in urban society but he never understood the real evils of the society and how these resulted in the exploitation of the - poor and the downtrodden.
    परोक्ष रूप से वे शहरी समाज के ओछेपन और लालच पर दोषारोपण कर रहे थे, पर वे यह कभी न समझ सके कि समाज की असली बुराइयॉं क्या हैं जिनके कारण गरीब और दलित लोगों का शोषण होता है ।

  • If a woman fears from her husband misconduct or desertion, there is no sin upon the couple if they reach a reconciliation between themselves ; and reconcilement is better. The souls are prone to greed ; but if you are virtuous and Godwary, Allah is indeed well aware of what you do.
    यदि किसी स्त्री को अपने पति की और से दुर्व्यवहार या बेरुख़ी का भय हो, तो इसमें उनके लिए कोई दोष नहीं कि वे दोनों आपस में मेल - मिलाप की कोई राह निकाल ले । और मेल - मिलाव अच्छी चीज़ है । और मन तो लोभ एवं कृपणता के लिए उद्यत रहता है । परन्तु यदि तुम अच्छा व्यवहार करो और भय रखो, तो अल्लाह को निश्चय ही जो कुछ तुम करोगे उसकी खबर रहेगी

  • Dayaram Gidumal begins by remarking that there are five great adversaries of man which obstruct and retard his spiritual progress, namely Lust, Anger, greed, Attachment and Egoism.
    ये मानव की आध्यात्मिक सिधी साहित्य का इतिहास प्रगति में बाधा उपस्थित करते हैं ।

  • grudging you. So when there is panic, you see them looking at you, with their eyes rolling like someone fainting at death. Then, when the panic is over, they scald you with sharp tongues in their greed for the spoils. They never have had faith. So Allah has made their works fail, and that is easy for Allah.
    तुम्हारे साथ कृपणता से काम लेते है । अतः जब भय का समय आ जाता है, तो तुम उन्हें देखते हो कि वे तुम्हारी ओर इस प्रकार ताक रहे कि उनकी आँखें चक्कर खा रही है, जैसे किसी व्यक्ति पर मौत की बेहोशी छा रही हो । किन्तु जब भय जाता रहता है तो वे माल के लोभ में तेज़ ज़बाने तुमपर चलाते है । ऐसे लोग ईमान लाए ही नहीं । अतः अल्लाह ने उनके कर्म उनकी जान को लागू कर दिए । और यह अल्लाह के लिए बहुत सरल है

  • Therefore fear Allah as much as possible, and heed the commands, and obey, and spend in Allah’s cause, for your own good ; and whoever is rescued from the greed of his own soul – is they who will be successful.
    तो जहाँ तक तुम से हो सके ख़ुदा से डरते रहो और सुनो और मानों और अपनी बेहतरी के वास्ते ख़र्च करो और जो शख़्श अपने नफ्स की हिरस से बचा लिया गया तो ऐसे ही लोग मुरादें पाने वाले हैं

  • If out of greed he were to marry some rich Brahmo girl, how will he save himself from being punished by the community ?
    वह यदि लालच में पड़कर ब्राह्म - परिवार की किसी पैसे वाली लड़की से विवाह करेगा तो समाज के कोप से उसे कौन बचा सकेगा ?

  • Sometimes the level of social efficiency surpasses that of the human society and also apparently free from such human traits as selfishness, greed and dishonesty, inherent in our socialism.
    कभी कभी सामाजिक दक्षता का स्तर मानव समाज से भी आगे बढ़ जाता है और स्वार्थ, लालच और बेईमानी जैसे मानव लक्षणों से मुक़्त होता है जो हमारे समाजवाद का जन्मजात अंग है.

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