Meaning of Consciousness in Hindi - हिंदी में मतलब

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Ayush Rastogi
Mar 08, 2020   •  4 views
  • जानकारी

  • होश

  • चेतना , होश

  • एहसास

  • चेतना

Synonyms of "Consciousness"

Antonyms of "Consciousness"

  • Unconsciousness

  • Incognizance

"Consciousness" शब्द का वाक्य में प्रयोग

  • It will be too early to attempt an evaluation of these programmes, but they have in some measure promoted culture - consciousness, initiated a major drive for conservation, and explored and provided a national platform for the stagnating rural arts and crafts.
    अभी इन कार्यक्रमों के मूल्यांकन का प्रयास तो जल्दबाजी होगा लेकिन इन कार्यक्रमों ने एक हद तक सांस्कृतिक चेतना का संवर्धन किया, गतिरूद्ध ग्रामीण कलाओं और शिल्प के संरक्षण के लिए एक बड़ा प्रयास शुरू किया, इन कलाओं को तलाशा और उन्हें एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया ।

  • The sense, the idea, the experience that I am a separately self - existent being in the universe, and the forming of consciousness and force of being into the mould of that experience are the root of all suffering, ignorance and evil.
    यह बोध, यह विचार एवं अनुभव कि मैं इस जगत् में एक पृथक स्वयं - स्थित सत्ता रखनेवाला जीव हूं, और अपनी सत्ता की चेतना एवं शक्ति को इस अनुभव के सांचे में ढालना - यही समस्त दुःख, अज्ञान और पाप का मूल है ।

  • For even this sense of the infinite is only a first foundation and much more has to be done before the consciousness can become dynamically gnostic.
    क्योंकि, अनन्त का यह बोध भी केवल एक प्रथम आधार है और, इसके पूर्व कि चेतना सक्रिय रूप से विज्ञानमय बन सके, इस बोध की प्राप्ति के अतिरिक्त और भी बहुत कुछ करना होता है ।

  • The supramentalising of the physical sense brings with it a result similar in this field to that which we experience in the transmutation of the thought and consciousness.
    भौतिक इन्द्रियों के अतिमानसीकरण का जो परिणाम हमारे सामने आता है वह इस इन्द्रियानुभव - रूपी क्षेत्र में उस परिणाम के सदृश होता है जो कि चिन्तन एवं मानसिक चेतना के रूपान्तर के क्षेत्र में हमारे अनुभव में आता है ।

  • With the help of our cultural consciousness she translated 39 selected important parts of Vedas, Ramayana, Thergatha and Ashwaghosh by the works of Kaalidas, Bhavbhuti and Jaidev in Hindi.
    अपनी सांस्कृतिक चेतना के सहारे उन्होंने वेद रामायण थेरगाथा तथा अश्वघोष कालिदास भवभूति एवं जयदेव की कृतियों से तादात्म्य स्थापित करके ३९ चयनित महत्वपूर्ण अंशों का हिन्दी काव्यानुवाद इस कृति में प्रस्तुत किया है ।

  • There is this great, boundless, unconditioned consciousness and force ; but our consciousness and force stands apart from it, even if within it, limited, petty, discouraged, disgusted with itself and the world, but unable to participate in that higher thing which it has seen.
    यह महान्, असीम, अपरिच्छिन्न चेतना एवं शक्ति विद्यमान है ; पर हमारी चेतना एवं शक्ति इसके अन्तर्गत होती हुई भी इससे पृथक् अवस्थित है, सीमित, क्षुद्र, निरुत्साहित, अपने - आपसे तथा जगत् से विरक्त है, पर जिस उच्चतर चित् - शक्ति का उसने साक्षात्कार किया है उसमें भाग लेने में असमर्थ है ।

  • The point of Kaviraj, however, is that the tranquillity of eternal consciousness is only an aspect of the Divine who is waiting in His fulness to descend to the earth as supramental Gopinath Kaviraj consciousness vijnana which is far more than mere jnana because it contains powers which surpass human understanding but which are cecessary for the fulfilment of the human heart.
    कविराज का कथन है कि शाश्वत चेतना की शांति उस दिव्य़ सता का एक पक्ष मात्र है जो अपनी पूर्णता मे धरती पर विज्ञान के रूप मे अवतिरित होने के लिए प्रतीक्षारता - है विज्ञान से कही बडा है क्योकि इसमे ऐसी शक्तियां है जो मानव बुद्धि से परे है किंतु जो मानव हदय की पूर्णता के लिए आवश्यक है ।

  • Consciousness is nothing if it is not the eternal subject to which all changes and objects are referred.
    चेतना कुछ भी नही यदि उसे समस्त परिवर्तनो एंव विषयो का संदर्भ रूप शाश्वत विषयी न माना जाये ।

  • The supramental transformation again changes the whole substance of our consciousness ; it brings in an ether of greater being, consciousness, sense, life, which convicts the psychical also of insufficiency and makes it appear by itself an incomplete reality and only a partial truth of all that we are and become and witness.
    और जब अतिमानसिक रूपान्तर होता है तो वह हमारी चेतना के सम्पूर्ण सारतत्त्व को फिर बदल डालता है ; वह एक महत्तर सत्ता, चेतना, इन्द्रिय ओर प्राण के आकाश को प्रकट कर देता है जो चैत्य आकाश को भी अपूर्णता का दोषी ठहराता है और यह दिखलाता है कि वह भी अपने - आपमें एक अपूर्ण सत्य है तथा हम जो कुछ हैं, जो कुछ बन जाते है और देखते हैं उस सबका केवल एक आंशिक सत्य है ।

  • But this vision of what is to be and therefore of what is to be done arises out of the very being, pours directly out of the consciousness and delight of existence of the Lord, spontaneously, like light from the Sun.
    परन्तु जो होना है और अतए जो करना है उसके विषय में यह अन्तदृष्टि ईश्वर की निज सत्ता में से ही उद्भूत होती है, सीधे उसकी चेतना से तथा उसकी सत्ता के आनन्द से ही प्रवाहित होती है, सहज - स्फूर्ति रूप में, जैसे सूर्य से प्रकाश निकलता है ।

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