मैं ओर मेरी तन्हाई

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Tanya Goyal
May 26, 2019   •  29 views

अक्सर मैं ओर मेरी तन्हाई यह बात करते है,
काश उस दिन तुम्हे रोक लिया होता.
काश उस दिन तुन्हे सब कह दिया होता.
काश बस उस दिन तुम्हारा हाथ थाम लिया होता. काश....

मैं ओर मेरीतन्हाई अक्सर वो लम्हे याद करते,
वो तेरा पहली बारिश में नाचना
वो छत पर चाय की चुस्की के साथ तेरी मीठी बातें सुन्ना.
याद आता है वो हर लम्हा पर अब उन लम्हो की सिर्फ परछाई है साथ.

मैं ओर मेरी तन्हाई अक्सर वो बात भुलना चाहते है,
भुलना चाहते है वो सारी नादानियाँ तेरी,
भुलना चाहता हु वो रोना तेरा.
भुलना चाहता हु वो चला जाना तेरा.
भुलना चाहता हु.

यूँ छोड़ कर चली गयी तु,
मेरी खामोशी को मेरी हां समझ बैठी तु,
एक बार.... जान सिर्फ एक बार रोक कर पूछ लिया होता,
काश तुने पीछे मुड़कर देख लिया होता,
जा सिर्फ तु नी रही थी जा मैं भी रहा था.
फर्क सिर्फ इतना था तु घर सेरही थी और मैं दुनिया से.
पर... पर अब क्या फायदा.
इन बातों का क्या फायदा,
इस कक़्फ़न मे ना तु है ना तेरी परछाई,
है तोह सिर्फ मैं ओर मेरी तन्हाई

ओर मैं ओर मेरी तन्हाई अक्सर ही बातें करते है.

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