जब मैंने उसे पहली बार देखा तो मानो वक़्त थम सा गया
उसकी नशीली आँखों में मैं खो सा गया
वो क्या बोल रहि थी कुछ समझ नहीं आ रहा था
पर फिर भी न जाने क्यों यह दिल मुस्कुरा रहा था
ख़्वाबों ही ख़्वाबों में बच्चों के नाम भी सोच लिए थे
सोचा की अब उससे बोल ही दूँ की कितना चाहता हूँ उसे
पर हर बार डरता था क्या बोलेगी वो मुझे
अगर पूछ लिया और न बोल दिया तो कैसे जी पाऊँगा मैं
औरना पुछा तो एक तरफ़ा आशिक़ वैसे ही बनके रह जाऊँगा मैं
पर एक सुकून तो होगा दिल में
वो ख्वाब तो रहेंगे
इस उम्मीद में की एक दिन वो पूरे होंगे
पर अगर पुछा औरना बोल दिया तो टूट जाएन्गे सारे ख्वाब और उनके पूरी होने की आशा
इस्लिये ठहर जाता हूँ हर बार
रुक जाता हूँ हर बार
ओर बोल नहीं पता उससे कीकितना चाहता हूँ तुझे !!