मानती नही मनाने से..

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Shubham Pathak
Apr 23, 2020   •  0 views

आज़मा के देख लो, मैं डरता नहीं जमाने से

गर डरता हूँ तो बस एक उसके रूठ जाने से।

बस इसीलिए उसके नादानियों को नजरअंदाज कर देता हूँ

गर रूठ गयी तो जल्दी मानती नहीं मनाने से।

मोहल्ले भर के सब लड़के, हाँ उसकी राह तकते हैं

वो छत पर भी जो आती है तो मेरे आने से।

ज़माना क्या कहेगा, मुझे इससे कुछ नहीं लेना

न सुनता हूँ मैं बातों को न डरता हूँ मैं तानो से।

कोई पूछे जो कोई बात तो फ़िर वो पूछता रहे

उसे मतलब भी तो सिर्फ मुझे बताने से।

शुभम पाठक

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