एक औरत सिर्क एक औरत नहीं बल्कि एक माँ बहन, बेटी, और माशूक़ा है
बचपनसे ही बेटियां को क्यों घर का काम सिखाया जाता है और क्यों लड़कों कोबोला जाता है पढ़ो, लिखो और पैसे कमाओ

क्यों न हम दोनों के साथ एक जैसे व्यवहार करें
क्यों न हम दोनों को खुली छूट दे
क्यों न हम दोनों को दुनिया देखने का समान मौका दें
क्यों न आज कुछ नया करें
क्यों न हर दिल को धड़कने दे
हर दिमाग को सोचने दे
क्यों न लड़की हो या लड़का दोनों को पढने दे
क्यों न दोनों को इज़्ज़त देँ
और दोनों से सामान अपेक्षा करें
क्यों न आज औरतों को थोड़ी ज़्यादा इज़्ज़त दें
इस्लिये नहीं क्यूंकि वो औरतें हैं
बाल्कि इसलिए क्यूंकि वो सिर्फ औरत नहीं बल्कि एक माँ बहन और बेटी भी है
क्यूंकि सिर्फ वो है जो हम मर्दों को भी इस दुनिया में अपने अन्दर 9 महिने पालके लाती है
क्यूंकि उनमें ही क्षमता हैइतना दर्द सेहन करने की
क्यूंकि महीने का वह वक़्त हो या न होफिर भी अपनी ज़िम्मेदारियों और काम से पीछे नहीं हट्टी
क्यूंकि वो सिर्फ अपने लिए नहीं अपने परिवार के लिए जीती है
क्यूंकि वो औरत नहींबल्कि देवी है!!

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