कल वहाँ था आज यहाँ हूँ

ये जिन्दगी है दोस्तों, चलती रहेगी

सुबह घर पे बिता के अच्छा लगा

शाम कहीं और ढलती रहेगी।

घर की यादें जो बर्फ की तरह है

हर पल ,हर घड़ी पिघलती रहेगी

गर लड़ना छोड़ दूँ जिंदगी से, डर के मारे

ये जीवन की सबसे बड़ी गलती रहेगी।

शुभम पाठक

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