जिसे प्यार करता था मैं, किसी और का हमसफ़र हो गया
मेरा प्यार न जाने क्यों अब बेअसर हो गया
जो बाअदब बात किया करते थे हर घड़ी मुझसे
रुख़सत होकर अब वो बेकदर हो गया।
उसे देख के लगा था एक हमसफर मिल जाएगा
हमे क्या पता था कि ग़म मिल जाएगा
निकले थे सच्चे प्यार की तलाश में, हम भी कभी
मालूम न था एक और दुश्मन मिल जाएगा ।
शुभम पाठक