तेरे दिल के उस आवाज़ को वो जान जाएगी
तुम मना कर तो देखो वो मान जाएगी।
तुझे जो शक़ है कि वो भूल गयी है चेहरा तेरा
कभी भीड़ में भी मिलना वो पहचान जाएगी।
यूँ रुसवा रहकर क्या मिलेगा आखिर दोनों को
या उसकी जान जाएगी या तेरी जान जाएगी।
पहल तुम्हीं कर दो आखिर बोलने की फिर से
न तेरा मान जाएगा न उसकी शान जाएगी।
शुभम पाठक