वो घर का बड़ा बेटा होता है

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Shubham Pathak
Jan 30, 2020   •  51 views

पहले तो उसको बड़ा प्यार मिलता है
फिर उसे बड़े होने का एहसास कराया जाता है
एक प्यारा भाई है घर में जो उससे छोटा है अभी
हर घड़ी उसे ये याद कराया जाता है।
हर पल छोटे का ध्यान रखने को कहा जाता है
अपने बड़प्पन का मान रखने को कहा जाता है।
बचपन से ही वो ज़्यादा काम करता है
क्योंकि छोटा भाई बैठ के आराम करता है।
कुछ न किया हो तब भी बात वही सुनता है
जब भी वो छोटे से लड़ता है डाँट वही सुनता है
बुरा लगने पर भी जो सबके सामने कभी न रोता है
दरसल, वो घर का बड़ा बेटा होता है।

छोटे की गलतियों पर अब लड़ता नहीं है वो
परिपक्व हो गया है शायद, अब झगड़ता नही है वो
पिता के कंधे से कंधा मिलाकर अब चलता है
अपने ख़्वाईशो को मन मे दबाकर अब चलता है
घर की जिम्मेदारी का जिसपर अब दबाव रहता है
आसमाँ में नहीं ज़मी पर ही उसका पाँव रहता है
वो सबके लिए बहुत कुछ करना चाहता है,
घर में सबके हिस्से में खुशियां भरना चाहता है
जो परिवार के लिए अपने सपनो को खोता है
वो घर का बड़ा बेटा होता है।

अब वो नौकरी करने लगा है
अपने परिवार के साथ खुश रहने लगा है
छोटा अब बड़े से फिर से लड़ने लगा है
बुरा न हो ये सोचकर बड़ा सब कुछ सहने लगा है
छोटा अपने ही दुनिया मे अब रहता है
बड़े भाई से अपने अब कुछ न कहता है
जब से छोटे भाई की शादी हुई है
दोनों भाइयों की खुशियां तब से आधी हुई है
कितना किया छोटे के लिए जो ये सोच के रोता है
वो घर का बड़ा बेटा होता है।
शुभम पाठक

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