सोच रहा था इधर जाऊं की उधर जाऊंजिन्दगी से लड़ूँ या मर जाऊंदुनिया मे सब रिश्ते अब मतलबी हो गएफिर याद माँ आई क्यो ना सीधा घर जाऊं।शुभम पाठक