लोग पूछते है मुझसे, शायरी कैसे करने लगे
उन्हें तेरा नाम बता दूँ क्या
सब सोंचते है कि मैं शौख में लिखता हूँ
उनका ये भ्रम मिटा दूँ क्या
पूंछते है इतना दर्द लाते कहाँ से हो शायरी में तुम
एक बार तेरी तस्वीर दिखा दूँ क्या
बड़ी जिद करते है वजह जानने के लिए
उन्हें तेरे बारे में बता दूँ क्या
लिखा हुआ मेरा बड़े प्यार से सुनते हैं सब
एक बार तेरी आवाज़ भी सुना दूँ क्या
पूंछते है मेरी कविताओं में तुम्ही क्यो होती हो
वजह बताकर उन्हें भी रुला दूँ क्या
मुझे देखकर अब वो लोग भी लिखना चाहते है
एक बार तुझसे मिला दूँ क्या
शुभम पाठक