सब खोने का डर भी है और कुछ पाने की चाहत भी
पढ़ना ही है सरदर्द मेरा और पढ़ने से ही राहत भी।
पढ़ लेने से फ़िर रात में इक सुकून सा मुझको लगता है
न पढ़ो तो दिल ये दुःखता है मन में होती है आहत भी।
शुभम पाठक