नासमझी समझने के लिए....

profile
Shubham Pathak
Aug 26, 2020   •  0 views

नासमझी समझने के लिए समझदार होना पड़ता है

समझदारी समझने के लिए बेदार होना पड़ता है।

मुश्किलें तो मिलती ही हैं, राह-ए-मंज़िल में

कुछ बनने के लिए भी दाग़दार होना पड़ता है।

अब कुछ ही लोग हैं ऐसे जो कुछ करतें हों निस्वार्थ

किसी को देने के लिए कुछ भी दिलदार होना पड़ता है।

दुआयें जब कभी भी शिद्दत से नवाज़ी जाती हैं

तो बेअसर दवाओं को असरदार होना पड़ता है।

बस झूठे दावे कर देने से कुछ नही मिलता

हक़ जताने के लिए हक़दार होना पड़ता है।

शुभम पाठक

0



  0