नासमझी समझने के लिए समझदार होना पड़ता है
समझदारी समझने के लिए बेदार होना पड़ता है।
मुश्किलें तो मिलती ही हैं, राह-ए-मंज़िल में
कुछ बनने के लिए भी दाग़दार होना पड़ता है।
अब कुछ ही लोग हैं ऐसे जो कुछ करतें हों निस्वार्थ
किसी को देने के लिए कुछ भी दिलदार होना पड़ता है।
दुआयें जब कभी भी शिद्दत से नवाज़ी जाती हैं
तो बेअसर दवाओं को असरदार होना पड़ता है।
बस झूठे दावे कर देने से कुछ नही मिलता
हक़ जताने के लिए हक़दार होना पड़ता है।
शुभम पाठक