खुश तो मैं बहुत हुई थी उस दिन
दूसरे शहर पढ़ने चले गए थे जिस दिन।
सोचा था मम्मी पापा का सारा प्यार और अटेंशन अब मुझे ही मिलेगा
और क्युकि आप नहीं हो तो बड़े होने का मज़ा भी मिलेगा।
कुछ दिन बीत गए, कुछ हफ्ते और फिर कुछ साल।
कभी बयान नहीं किया पर हर पल आता था आपका ख्याल।
आपकी खरीयत के लिए मांगती थी मैं हर रोज़ दुआ।
अधूरा था जीवन मेरा, यह आपके जाने के बाद अहसास हुआ।
भाई नहीं दोस्त थे आप मेरे ,
रोशनी बनकर साथ रहते थे चाहे जितने भी हो अंधेरे।
जब सबने बंदिशें लगाई,
तो आपने आज़ादी की किरण दिखाई।
न कभी किसी चीज़ से रोका, न आगे बड़ने से रुकने दिया।
हर मुश्किल का सामना करना सिखाया,
और परछाई की तरह साथ निभाया।
फासले चाहे जितने भी हो, दिल से आप मेरे पास हो।
जताती तो नहीं हूं पर आप मेरे लिए सबसे खास हो।