खुश रहिए, मस्त रहिए।

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Shristy Jain
Mar 24, 2019   •  25 views

कुछ बच्चे या कुछ लोग खूब हंसते हैं, वह बात बात में हंसते हैं, कुछ लोग होलै से हंसते हैं, बात बात पर नहीं हंसते और कुछ लोग अधिकतर मुस्कुराते हैं, तो क्या ऐसा है कि जो खूब ज्यादा हंसता है वह ज्यादा खुश होता है? नहीं, ऐसा नहीं है। हाँ, कुछ लोग अवश्य साफ दिल के होते हैं। खुलकर हंसते हैं लेकिन कभी-कभी व्यक्ति अपनी कमियों, अपनी गलतियों को छिपाने, अपने आपको कुछ अलग दिखाने या फिर अहंकार के लिए भी खूब ज्यादा या बेबात हंसता रहता है। सच्ची खुशी होती है दिल में, वह झलकती है चेहरे पर।

किसी का चेहरा खिले हुए फूल की तरह खिला खिला रहता है और किसी को मुरझाए हुए फूल की तरह भुझा भुझा सा रहता है। फूल खिलता है अच्छा लगता है, लगता है हंस रहा है। लेकिन बात है उन चेहरों की जो मुरझाए फूल की तरह रहते हैं, उदास रहते हैं। निश्चय ही उनके पास समस्याएं ज्यादा होंगी, अधिक सफल नहीं हो रहे होंगे, आगे नहीं बढ़ पा रहे होंगे। तभी वे उदास दुखी या मुरझाए से रहते हैं।

ऐसे लोगों से पूछा जाए कि क्या वे सचमुच खुश रहना चाहते हैं या फिर दुखी ही रहना चाहते हैं क्योंकि दुुखी या उदास रहने से समस्याएं कम नहीं हो जाती। वह कम होगी हल खोजने से और हल मिलेगा खुश रहने से। मन हल्का रखने से। तनाव में रहकर कभी समस्याओं का समाधान नहीं मिल सकता। दूसरी बात, यदि हमारे पास खुश रहने की कोई बड़ी वजह नहीं है तो हम बहुत छोटी-छोटी बातों में, छोटी छोटी चीजों में, छोटे अक्षरों में भी खुशी हो सकते हैं। खुश रहने का प्रयास कर सकते हैं। जब हम ऐसा करेंगे तो हमें बहुत हल्का पन महसूस होगा। हमें समस्याओं से, असफलताओं से जूझने की, लड़ने की शक्ति मिलेगी। दूसरों के सामने हमारी छवि खराब नहीं होगी और हम एक दिन अवश्य सफल होंगे।

जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किले क्यों न आए, यदि हम उनका सामना हँसते हुए करें, तो हमारा हौसला बढने लगता है और हमें हमारी मुश्किले आसान लगती हैं। लेकिन बाहरी हँसी सेे कुछ नहीं होगा। आपको आंंतरिक

रुप से हँसना सीखना होगा।

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